सूरत, गुजरात. कोरोना रिश्ते-नाते और उम्र नहीं देखता। इन मासूम बच्चों को नहीं मालूम कि कोरोना आखिर होता क्या है? इन्हें यह भी नहीं पता कि वे कोरोना संक्रमित हैं। ये हम उम्र बच्चे चचेरे भाई हैं। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इन्हें शनिवार रात करीब 12 बजे एम्बुलेंस के जरिये सिविल हास्पिटल लाया गया था। बच्चों को कोरोना स्पेशल वार्ड में रखा गया है। चूंकि बच्चों की उम्र कम है, लिहाजा इनकी मांओं को भी मजबूरी में साथ रखना पड़ा है। इन बच्चों को यहां आना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा। बेशक हॉस्पिटल प्रबंधन इनका पूरा ख्याल रख रहा है। डॉक्टर, नर्सें और अन्य स्टाफ घर-परिवार की तरह पेश आ रहा है, लेकिन बच्चों को लग रहा है कि उन्हें किसी गलती पर यहां बंद करके रखा गया है। वे बार-बार अपनी-अपनी मांओं से रूठ जाते हैं। वे यहां का खाना खाने में मुंह बनाते हैं। घर जाने की जिद पकड़कर रोने लगते हैं। बिस्किट मांगने लगते हैं। यह हैं 4 साल के जीत और 5 साल के वैदिक। पढ़िए इनकी मार्मिक कहानी..