22 साल की उम्र में प्रधान बनी पहाड़ों की यह बेटी, DU से ग्रेजुएट फिर भी लौटी अपने गांव...


शिमला,  बेटियों को समान पढ़ने और बढने का मौका दिया जाए तो वह हर क्षेत्र में अपना परचम लहराती हैं। खेल के मैदान से लेकर देश की आर्मी तक की कमान आज उनके हाथों में है। कुछ ऐसा ही कमाल किया है हिमाचल की बेटी अवंतिका चौहान ने जो आज 22 साल की उम्र में अपने गांव की प्रधान बन गईं हैं। इतनी छोटी सी उम्र में चुनाव जीतना अपने आप में किसी बड़ी उपल्ब्धि से कम नहीं है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2021 7:16 AM IST
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22 साल की उम्र में प्रधान बनी पहाड़ों की यह बेटी,  DU से ग्रेजुएट फिर भी लौटी अपने गांव...


दरअसल, हाल ही में हिमाचल प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के पहले चरण के परिणाम आ चुके हैं। जहां शिमला के विकास खंड रोहडू की पंचायत लोअरकोटी में 22 साल की अवंतिका चौहान को गांव के लोगों ने अपना सरपंच चुना है। अब इस बेटी को हाथो में गांव की सियासी कमान सौंपी है। 

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बता दें कि अवंतिका चौहान दिल्ली विश्वविधालय (DU) से बीकॉम ग्रेजुएशन किया हुआ है। वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविधालय से  फिलहाल ग्रामीण विकास में एमए कर रही हैं। क्योंकि उनका बचपन से ही गांव की सेवा और ग्रामीण के विकास के क्षेत्र में झुकाव रहा है। DU से ग्रेजुएशन करने के बाद वह  चाहती तो सरकारी नौकरी या कोई बड़ी कंपनी में अच्छे खासे पैकेज में जॉब कर सकती थीं। लेकिन उन्होंने अपने गांव के विकास के लिए यह क्षेत्र चुना है। जिसमें वह पहली ही बार में सफल भी हो गईं।
 

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अवंतिका का जन्म 21 नवंबर 1998 को लोअरकोटी गांव में हुआ था। उनके परिवार के लोग कहते हैं कि अवंतिका बचपन से ही पढ़ने में होशियार थी, उसने कैंद्रीय स्कूल से अपनी स्कूलिंग की है। 12वीं  94 फीसदी अंकों के साथ पास की है। इसके बाद दिल्ली मे लक्ष्मीबाई कॉलेज में एडमिशल लिया। वहीं वह युवा संसद में भाग ले चुकी है।
 

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इस सफलता के बाद अवंतिका ने लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि मैं, अवंतिका चौहान, लोअर कोटी पंचायत की समस्त जनता का युवा-नेतृत्व में भरोसा जताने के लिए दिल की गहराई से आभार व्यक्त करती हूं। मैं करबद्ध कृतज्ञ हूं, कि आपने मुझपर विश्वास जताया; मैं गौरवान्वित हूं, कि मेरी जनता ने एक युवा की भविष्य-निर्माण की सोच को सराहा; मैं सम्मानित हूं, कि आपने मुझे मेरी पंचायत के सर्वांगीण विकास के मेरे सपने को पूरा करने का अवसर प्रदान किया। आपके विश्वास, आपके साथ, आपके सम्मान को मैं कभी भुला नहीं सकती। ये क्षण मेरे लिए अद्वितीय है। मैं सदैव आपकी ऋणी हूं। धन्यवाद, धन्यवाद, हार्दिक धन्यवाद।

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