10 साल की नौकरी में पिता ने जो कमाया, बेटे को फौजी बनाने में खर्च कर दिया, मन्नतों के बाद भरी थी मां की गोद

हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश. मां के लिए उसके बच्चे सबसे अमूल्य पूंजी होते हैं। लेकिन जाबांज सैनिकों की मांएं कुछ अलग होती हैं। गलवान घाटी में शहीद हुए इस नौजवान यौद्धा की मां की भावनाएं कोई नहीं समझ सकता। उसे अपने बेटे पर गर्व है, लेकिन एक मां का दिल उसकी याद में रोता रहता है। कई जगह मत्था टेकने के बाद बेटा जन्मा था। लेकिन यह नहीं पता था कि वो मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपनी इस मां की गोद सूनी कर जाएगा। यह कहानी है अंकुश ठाकुर की। उनके पिता भी सेना में थे। बेटे ने जब आर्मी की वर्दी पहनी, तो पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था। अब जबकि बेटा शहीद हो गया, तो पिता का सीना और ज्यादा गर्व से भर गया है। हां,आंखों में भी जरूर आंसू भरे रहते हैं। बता दें कि  'हिंदी-चीनी भाई-भाई' की भावना को चीन ने फिर से छलनी किया है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15/16 जून की रात चीन और भारत की सेना के संघर्ष में भारत ने अपने 20 जवानों को खोया। वहीं, चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं। हालांकि चीन इसकी पुष्टि कभी नहीं करेगा। इस हमले में हमीरपुर के अंकुश ठाकुर भी शहीद हो गए थे। पढ़िए उनकी कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Jun 24, 2020 7:07 AM IST / Updated: Jun 29 2020, 07:08 PM IST

18
10 साल की नौकरी में पिता ने जो कमाया, बेटे को फौजी बनाने में खर्च कर दिया, मन्नतों के बाद भरी थी मां की गोद

शहीद अंकुश के पिता अनिल ठाकुर भी फौज में थे। वे बताते हैं कि उनकी शादी 1988 में हुई थी। उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान जो कुछ कमाया, वो सब बेटे को फौजी बनाने में खर्च कर दिया। अंकुश का जन्म उनकी शादी के 10 साल बाद 24 नवंबर को हुआ था। वे कहते हैं कि जब अंकुश का जन्म हुआ, तो यूं लगा था कि दुनिया में सारी कमी पूरी हो गई। उसकी मां अंकुश को गोद से उतारती तक नहीं थी। 
अब मां बेटे के लिए दुल्हन ढूंढ रही थी।  (सीमा पर अंकुश और बचपन में मां की गोद में)

28

अंकुश के जन्म के बाद उनके पिता की पोस्टिंग मेरठ में थी। जब उन्हें इसकी खबर मिली, तो उनके पैर जमी पर नहीं टिक रहे थे। वे बताते हैं कि यह जरूर है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से उन्हें आर्मी में जाना पड़ा, लेकिन अपनी ड्यूटी पर हमेशा गर्व रहा। यही कुछ उसके बेटे में भी नजर आता था। वो हमेशा से ही फौज में जाने की जिद करता था। (अंकुश के कुछ पुराने फोटो)

38

अनिल ठाकुर ने माना कि अंकुश काफी मन्नतों के बाद जन्मा था, इसलिए वे शुरुआत में यह नहीं चाहते थे कि वो फौज में जाए। लेकिन वो जुनूनी था। आखिर में हमें भी उसका जोश देखकर अच्छा लगा। फिर हमने उसे कभी नहीं रोका। (अंकुश के बचपन की तस्वीर)
 

48

अंकुश ने जनवरी 2019 में ही फौज ज्वाइन की थी। उनके गांव में वर्षों बाद कोई फौज में गया था। अनिल ठाकुर बताते हैं कि उनके समय तक तो हर घर से कोई न कोई फौज में जाता रहा, लेकिन फिर बाद के लड़के दूसरे जॉब में जाने लगे। अंकुश ने जब फौज ज्वाइन की, तब फिर से गांव में यह जज्बा बढ़ा था। (अंकुश की पार्थिव देह)

58

अंकुश का एक छोटा भाई है। उसका जन्म 2008 को हुआ था। 7वीं पढ़ने वाला उसका भाई भी सेना में जाने का इच्छुक है। अपने बड़े भाई को मुखाग्नि देते समय छोटे भाई ने कहा कि वो भी देश का नाम रोशन करना चाहेगा। (बड़े भाई की अंतिम क्रिया करता भाई)
 

68

अंकुश का 19 जून को अंतिम संस्कार किया गया था। इस दौरान पूरा गांव उसके दर्शन करने उमड़ पड़ा था।

78

जब अंकुश की पार्थिव देह घर पहुंची, तो मां का कलेजा फट पड़ा। उसे अपने बेटे की शहादत पर गर्व था, लेकिन एक मां के तौर पर वो यह सदमा सहन नहीं कर पाई और बार-बार बेहोश होती रही।

88

भारतीय तिरंगे का गौरव बरकरार रखने वाले इस जाबांज शहीद अंकुश ने अपने हमीरपुर का भी नाम रोशन कर दिया।

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos