हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश. मां के लिए उसके बच्चे सबसे अमूल्य पूंजी होते हैं। लेकिन जाबांज सैनिकों की मांएं कुछ अलग होती हैं। गलवान घाटी में शहीद हुए इस नौजवान यौद्धा की मां की भावनाएं कोई नहीं समझ सकता। उसे अपने बेटे पर गर्व है, लेकिन एक मां का दिल उसकी याद में रोता रहता है। कई जगह मत्था टेकने के बाद बेटा जन्मा था। लेकिन यह नहीं पता था कि वो मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपनी इस मां की गोद सूनी कर जाएगा। यह कहानी है अंकुश ठाकुर की। उनके पिता भी सेना में थे। बेटे ने जब आर्मी की वर्दी पहनी, तो पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था। अब जबकि बेटा शहीद हो गया, तो पिता का सीना और ज्यादा गर्व से भर गया है। हां,आंखों में भी जरूर आंसू भरे रहते हैं। बता दें कि 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' की भावना को चीन ने फिर से छलनी किया है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15/16 जून की रात चीन और भारत की सेना के संघर्ष में भारत ने अपने 20 जवानों को खोया। वहीं, चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं। हालांकि चीन इसकी पुष्टि कभी नहीं करेगा। इस हमले में हमीरपुर के अंकुश ठाकुर भी शहीद हो गए थे। पढ़िए उनकी कहानी...