ये धारा 370 के बाद का कश्मीर है, आतंकवादियों का 'काल' और बच्चों के लिए पैरेंट्स की भूमिका में आई इंडियन आर्मी

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद लगातार अच्छे बदलाव आ रहे हैं। इसके पीछे भारतीय सेना की सूझबूझ और मेहनत दिखती है। हालांकि सेना आज से नहीं, पिछले 30 सालों से घाटी की तस्वीर बदलने में लगी हुई है। सेना जितने जोश से आतंकवाद के सफाये में लगी है, उतनी ही शिद्दत से अपनी सामाजिक और मानवीय जिम्मेदारी भी निभा रही है। सेना ने घाटी के होनहार बच्चों के लिए कोचिंग क्लासेस शुरू की है। ये कोचिंग क्लासेस बारामूला जिले में सोपार एरिया में चल रही हैं। यहां 5 स्थानीय शिक्षकों को अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, गणित, विज्ञान और उर्दू सहित सभी अनिवार्य विषय पढ़ाने के लिए चुना गया है। यह भी बता दें कि यहां धारा 370 हटाने के बाद से आतंकवादी घटनाओं में लगातार कमी आई है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 2020 में यहां 100 से ज्यादा ऑपरेशन चलाए गए। इनमें 90 कश्मीर, जबकि 13 जम्मू में चले। इन ऑपरेशन में 225 आतंकी मारे गए। आगे पढ़िए पूरी कहानी...
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 8, 2021 6:56 AM IST

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ये धारा 370 के बाद का कश्मीर है, आतंकवादियों का 'काल' और बच्चों के लिए पैरेंट्स की भूमिका में आई इंडियन आर्मी

सेना इन दिनों गरीब परिवारों के मेधावी बच्चो को पढ़ाने ये कोचिंग क्लासेज चला रही है। सोपोर के टारजू एरिया के एक सरकारी मिडिल स्कूल में ये क्लासेज शुरू की गई हैं। इसकी पहल अपलोना राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के निंग्ली आर्मी कैंप ने की है। यह हैदरबेग सेक्टर मुख्यालय के तहत आती है।

(पहला फोटो thekashmirwalla.com से साभार)

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सेना की ये स्पेशल कोचिंग क्लासेज 9वीं के छात्रों के लिए शुरू कराई गई हैं। लॉकडाउन में स्कूल आदि बंद होने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा था। बोर्ड एग्जाम में वे अच्छा प्रदर्शन कर सकें, इसलिए ये क्लासेज लगाई जा रही हैं।

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इन क्लासेज में सोपार और आसपास के गांवों के 50 छात्र पढ़ने आ रहे हैं। इनमें 30 लड़कियां और 20 लड़के हैं। बच्चों ने माना कि क्लासेज लगने से उनकी पढ़ाई ठीक हुई है।
 

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इन बच्चों का हर दो महीने में टेस्ट लिया जाएगा। जब क्लासेज समाप्त होंगी, तब फाइनल टेस्ट होगा। क्लासेज में शामिल बच्चों को स्टेशनरी आइटम फ्री में दिए जा रहे हैं।
 

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बता दें कि धारा 370 हटने के बाद घाटी में आतंकवाद की कमर टूट गई है। ऐसा तीन दशकों में पहली बार हुआ है, जब किसी साल 200 से ज्यादा आतंकी मारे गए। 2018 में 257 और 2017 में 213 आतंकी मारे गए थे। हालांकि पिछले साल हमने 62 जवान खोए। आतंकी घटनाओं का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ा है। सेना शुरुआत से ही बच्चों को इस सदमे से उबारने में लगी है।

(फाइल फोटो-सेना बच्चों के बीच घुलने-मिलने में लगी है।)

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जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 2020 में सबसे कम यानी 143 आतंकी घटनाएं हुईं। ये 30 साल में सबसे कम हैं। बता दें कि 1990 में 4,158 आतंकी घटनाएं हुई थीं। अब तक यहां 71,410 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 25 हजार 137 आतंकी मारे गए।
(फाइल फोटो)

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