दरअसल, यह तस्वीर बेंगलुरु के अन्नपूर्णेश्वरी इलाके की है। जहां प्रवासी मजदूरों के बच्चे रहते हैं, वह पढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनके पास ना तो स्मार्टफोन है और इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था। यहीं पास में रहते हैं कर्नाटक पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर शांथप्पा जेदेमनावर जो इन बच्चों की मदद करने के लिए आगे आए। शांथप्पा ने कहा-मैं भी कभी प्रवासी मजदूर रह चुका हूं, इसलिए वह इन बच्चों का दुख-दर्द समझते हैं।