घर में पड़ी थी मां की लाश, सबकुछ जानते हुए भी इस एक वजह से ड्यूटी करता रहा बेटा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड 19) ली वजह से भारत में भी हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात नजर आ रहे हैं। कई जिलों में लॉकडाउन है। जबकि पंजाब ने समूचे राज्य में कर्फ़्यू लगा दिया है। क्या दफ्तर, मॉल, बाजार, स्कूल, कॉलेज कोरोना की वजह से सब कुछ बंद हैं। रेल के पहिए भी थम गए हैं।
Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2020 12:01 PM IST / Updated: Mar 23 2020, 05:35 PM IST
तमाम लोग अपने अपने लोगों से वर्क फ्रोम होम कर रहे हैं। लेकिन ऐसा मुश्किल हालात में भी सुरक्षाकर्मी, पुलिस, डॉक्टर्स, सफाईकर्मी और दूसरे सेवाकार्यों से जुड़े लोग घरों से बाहर हैं। इतना ही नहीं इंसानियत की मदद के लिए वो अपनी निजी चीजों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। (फोटो : आईएएस निकुंज धल)
कोरोना के खिलाफ जंग में ओडिशा के एक डॉक्टर की कहानी बेमिसाल है। खबरों के मुताबिक डॉक्टर साहब की मां चल बसी, मगर ऐसे मुश्किल हालात में भी वो अपनी ड्यूटी करने पहुंचे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 मार्च को संबलपुर के सहायक संभागीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक दास की मां पद्मिनी दास का निधन हो गया। पद्मिनी दास 80 साल की थीं।
मां के निधन के बावजूद अशोक दास अपनी ड्यूटी पर पहुंचे। दास की ड्यूटी संभलपुर जिले में नोडल अफसर के तौर पर थी। दिनभर का काम पूरा किया। जरूरी बैठकों में शामिल होते रहे। लोगों के बीच जाकर उन्हें कोरोना से बचने के उपाय और तरीके बताते रहे।
अशोक दास जिले के मुख्य सरकारी अस्पताल भी गए। वहां की स्थिति का जायजा लिया। जब शाम तक वो अपना काम पूरा कर चुके फिर घर लौटे और मां का अंतिम संस्कार किया। डॉ. दास ने कहा, इस वक्त ड्यूटी करना है ज्यादा जारोरी है जो उन्होंने किया।
वैसे दास से पहले ओडिशा के ही एक आईएएस अफसर निकुंज धल की भी चर्चा हुई। दरअसल, उनके पिता का निधन हो गया था। मगर कोरोना के बाड़ा के हालात को देखते हुए निकुंज 24 घंटे के अंदर ही अपने काम पर लौट आए थे। उनके पास प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की जिम्मेदारी है। दोनों अफसरों का काम और सेवा भाव बेमिसाल है।