प्रिंसी ने एक मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो पांची क्लास में एडमिशन लेने के लिए गई थीं तो स्कूल ने प्रवेश नहीं दिया था। इस दौरान एक टीचर ने मुझे मानसिक रोगी बताकर स्कूल से निकाल दिया था। हालांकि मैंने कोई दुख नहीं मनाया था, फिर गांव के ही स्कूल में 10वीं पास किया और फिर 12वीं। प्रिंसी का कहना है कि ऐसा कोई काम नहीं जो एक दिव्यांग नहीं कर सकता है, बस संकल्प और जुनून होना चाहिए।