साढ़े तीन साल पहले वीनू भक्तिनगर थाने में अपनी पीड़ा लेकर पहुंची थीं। तब वहां के पीआई विरल दान गढ़वी ही थे। उन्होंने मानवता और ड्यूटी निभाते हुए मकान मालिक को समझाया। बताते हैं कि दो साल पहले जब वीनू की तबीयत खराब हुई, तब भी पीआई ने एक बेटे की तरह उनका इलाज कराया था। बुजुर्ग की तीन संतानें हैं। एक बेटे का निधन हो चुका है। एक बेटी की कच्छ में ससुराल है। राजकोट में बुजुर्ग अकेली रहती हैं। पुलिसवाले ही अब उनके राशन-पानी का प्रबंध करते हैं। आगे देखिए जयपुर में पुलिस ने किस तरह मनाया मदर्स-डे..