सुहागरात मना 20 दुल्हनों का कत्ल करने वाले किलर को उम्र कैद, गर्भनिरोधक के बहाने देता था जहर

मंगलुरु (कर्नाटक). भारत का खतरनाक साइनाइड सीरियल किलर के नाम से फेमस आरोपी मोहन कुमार को कर्नाटक की एक अदालत ने सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दरअसल, साल 2016 में आरोपी ने केरल की एक 23 वर्षीय महिला की हत्या की थी। जिसपर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। यह सजा जिला और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश सईदुन्ननिसा ने सुनाई है। इसके अलावा आरोपी पर कोर्ट ने 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जज ने कहा कि यह सजा तब शुरू होगी जब वह अन्य मामलों में कारावास की सजा काट चुका होगा।

Asianet News Hindi | Published : Feb 18, 2020 12:14 PM IST / Updated: Feb 18 2020, 07:09 PM IST
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सुहागरात मना 20 दुल्हनों का कत्ल करने वाले किलर को उम्र कैद, गर्भनिरोधक के बहाने देता था जहर
जानकारी के मुताबिक, साइनाइड सीरियल किलर मोहन का जन्म 1963 में केरल में हुआ था। वह पेशे से एक स्कूट टीचर था। आरोपी अक्सर सीधी-साधी महिलाओं को प्यार के जाल में फंसाता था। शादी के बाद उनके साथ सुहागरात मनाकार अगले दिन गर्भनिरोधक गोली खिलाने के बहाने साइनाइड खिलाकर मौत के घाट उतार देता था।
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यह खूंखार शख्स 2005 से लेकर 2009 तक करीब 20 महिलाओं की हत्या कर चुका है। इन सभी लड़कियों की उम्र 20 से 30 साल थी।।
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साल 2009 में मोहन ने अनीथा नाम की लड़की को अपने प्यार के जाल में फंसाया था। एक दिन अचानक लड़की गायब हो गई। जब वो नहीं मिली तो गांव वालों ने पुलिस के पास जाकर जमकर हंगामा किया। जिसके बाद पुलिस ने अनीथा के फोन नंबर को ट्रैस किया। पता चला कि उसको कोई लड़का चला रहा था। पूछताछ में युवक ने बताया, यह मोबाइल उसके चाचा मोहन ने दिया है। फिर पुलिस आरोपी तक पहंची और उसको हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की तो उसने ऐसे राज उगले की पुलिसवालों के भी होश उड़ गए।
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आरोपी ने बताया था कि वह ऐसी लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था जिनकी या तो शादी टूट जाती थी या फिर उनके माता-पिता दहेज के चक्कर में उनका विवाह नहीं कर पाते थे। मैं उन महिलाओं को झूटे प्यार का नाटक कर फंसाता था। फिर शादी करके और सुहागरात मनाकर उनको साइनाइड खिलाकर मौत के घाट उतार देता था।
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हालांकि इससे पहले भी आरोपी को 5 मामलों में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। जबकि 3 मामलों में उसको उम्रकैद की सजा मिली है। वहीं कोर्ट ने 2 मामलों में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। सबसे पहले उसको 7 साल पहले दिसंबर 2013 में मंगलौर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उसे 20 महिलाओं की हत्या का दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई थी। हैरानी की बात ये भी है कि मोहन कुमार अपना केस खुद ही लड़ रहा था।
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