दुनियाभर में हिंसा के पीछे होता है इन आतंकवादी संगठनों का हाथ्, ये हैं दुनिया के सबसे बड़े दुश्मन

फरवरी दो बड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के लिए जाना जाता रहेगा। एक घटना भारत से जुड़ी है। CAA के मुद्दे पर दिल्ली में भड़के दंगे के पीछे किसी आतंकी संगठन की साजिश की आशंका जताई गई है। वहीं, दूसरी घटना अंतरराष्ट्रीय है। अमेरिका ने आतंकी संगठन तालिबान से समझौता किया है। यानी अब अमेरिका धीरे-धीरे अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं हटाएगा। लेकिन अमेरिका ने एक शर्त रखी है कि तालिबान अलकायदा से कोई रिश्ता नहीं रखेगा, वहीं अहिंसा का रास्ता छोड़ देगा। यह घटना भारत को प्रभावित करेगी। क्योंकि तालिबान को लेकर पाकिस्तान की सहानुभूति रही है। बहरहाल, समूची दुनिया में कई छोटे-बड़े आतकी संगठन सक्रिय हैं। ये मानवता और शांति के सबसे बड़े दुश्मन है। ISIS जैसे संगठनों ने सीरिया जैसे देश को तबाह कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा जैसे आंतकी संगठन पाकिस्तान की शह और मदद से भारत के लिए परेशानी का सबक बनते रहे हैं। आइए जानते हैं दुनिया के कुछ सबसे बड़े दुश्मनों के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Mar 3, 2020 5:09 AM IST / Updated: Mar 03 2020, 01:38 PM IST

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दुनियाभर में हिंसा के पीछे होता है इन आतंकवादी संगठनों का हाथ्, ये हैं दुनिया के सबसे बड़े दुश्मन
दुनिया में आतंक की पाठशालाएं यूं ही नहीं चलतीं। ज्यादातर आतंकी संगठनों की आधारशिला दुनियाभर में इस्लामिक सत्ता स्थापित करना है। वे तरक्की के विरोधी हैं। महिलाओं की शिक्षा और आजादी के सख्त विरोधी हैं। इन संगठनों का सिर्फ एक ही मकसद है, आतंक फैलाकर पैसा कमाना और लोगों पर तानाशाहीपूर्वक शासन करना।
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तालिबान: इस संगठन के साथ कुछ दिनों पहले ही अमेरिका ने समझौता किया है। इस संगठन का एक समय में अफगानिस्तान में शासन था। इसकी स्थापना 1994 में मुल्ला मोहम्मद उमर ने की थी। हालांकि अमेरिका ने एक शर्त पर इससे समझौता किया है कि वो अलकायदा से दूरियां बनाएगा और शांति स्थापित करेगा।
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लश्कर-ए-तैयबा: यह संगठन मुंबई में 26/11 के हमले का दोषी है। इसकी स्थापना हाफिज मुहम्मद सईद ने की थी। यह संगठन भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाता है। इस संगठन को पाकिस्तानी सेना और इंटर सर्विस इंटेलिजेंस(ISI) से भी मदद मिलने के सबूत सामने आते रहे हैं।
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अल-शाबान: यह संगठन सोमालिया में सक्रिय है। इसकी स्थापना 2006 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी सेनाओं को सोमालिया में आने से रोकना रहा है। यह संगठन 2015 में केन्या की एक यूनिवर्सिटी पर हुए हमले के बाद कुख्यात हुआ था। इस हमले में 148 स्टूडेंट्स मारे गए थे।
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तहरीक-ए-तालिबान: इस संगठन का उद्देश्य पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दहशत फैलाना रहा है। यह संगठन हमेशा से ही पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकारों के खिलाफ काम करता रहा है। इसकी स्थापना मुल्ला फजलुल्ला ने की थी।
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रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस ऑफ कोलबिंया: मार्क्सवादी-लेनिनवादी यह आतंकी संगठन ड्रग्स तस्करी के जरिये धन उगाहता है। यह संगठन लैटिन अमेरिकी देशों में आतंकी गतिविधियों के लिए बदनाम है। इसकी स्थापना 1964 में की गई थी। हाल में इसके 7000 सदस्यों ने सरकार के आगे हथियार डाले हैं। माना जा रहा है कि 2000 के करीब विद्रोही अभी भी सक्रिय हैं।
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बोको हराम: यह संगठन नाइजीरिया में सक्रिय रहा है। इसका मकसद नाइजीरिया का इस्लामीकरण करना रहा है। बोको हराम अरबी शब्द है। इसका मतलब है 'पश्चिमी शिक्षा हराम' है। 2002 में इसका गठन हुआ था। इसके संस्थापक नाईजीरियाई मुस्लिम नेता मोहम्मद यूसुफ थे।
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जेमा इस्लामिया: यह संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया में सक्रिय है। इसे अलकायदा की ही एक ब्रांच माना जाता है। यह संगठन वर्ष, 2002 में इंडोनेशिया की राजधानी बाली में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद कुख्यात हुआ था। इस हादसे में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
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अबू सय्याफ: यह संगठन लूटमार के मकसद से बनाया गया है। यह संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया में फिलीपींस में सक्रिय है। इसके सदस्य फिलीपींस के सल्लू टापू और तटवर्ती एरिया में सक्रिय रहकर लोगों का किडनैप करके मोटी रकम वसूलते हैं। इसे भी आतंकी संगठन का तमगा मिला हुआ है।
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अलकायदा: इस आतंकी संगठन की स्थापना ओसामा बिन लादेन ने 1989 की थी। अमेरिका ने लादेन को 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया था। अमेरिका में हुए 9/11 हमले के पीछे इसी की साजिश सामने आई थी। इसे ऐसा पहली आतंकी संगठना माना जाता है, जिसने पढ़े-लिखे लिखे नौजवानों को भर्ती कराने बकायदा वैकेंसी निकाली थीं।
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