जब दरांती उठाकर धान काटने बैठ गईं कलेक्टर, ये कभी रेग्युलर कॉलेज नहीं गईं, वजह चौंकाने वाली है

Published : Sep 09, 2020, 03:23 PM ISTUpdated : Sep 09, 2020, 03:30 PM IST

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड. यह यह हैं रुद्रप्रयाग की कलेक्टर वंदना सिंह। मंगलवार को इन्हें लोगों ने एक नये अवतार में देखा। वे अगस्त्यमुनि ब्लॉक के गडमिल गांव निरीक्षण करने पहुंची थीं। वे खेतों में होने वाली फसलों की स्थिति भी देखना चाहती थीं। इस दौरान कुछ महिलाएं धान काट रही थीं। यह देखकर उन्होंने भी दरांती उठाई और धान काटने बैठ गईं। यह देखकर बाकी अफसरों का हैरान होना तय था। हालांकि कलेक्टर यह देखना चाहती थीं कि फसल कैसे काटी जाती है?  वंदना सिंह का  जन्म 4 अप्रैल, 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में एक साधारण परिवार में हुआ। इनके परिवार में लड़कियों को पढ़ाई से दूर रखा जाता था। इस परिवार की पहली पीढ़ी ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा। इसलिए पिता के लिए बेटी को पढ़ाना एक चुनौती थी। 12वीं तक गुरुकुल में पढ़ने के बाद वंदना सिंह ने घर पर ही रहकर लॉ की पढ़ाई की। एग्जाम दिलाने पिता खुद लेकर जाते थे।

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जब दरांती उठाकर धान काटने बैठ गईं कलेक्टर, ये कभी रेग्युलर कॉलेज नहीं गईं, वजह चौंकाने वाली है

कलेक्टर वंदना सिंह ने बताया कि रबी और खरीफ की फसल काटने से पहले प्रशासन यह प्रयोग करती है। इससे खेतों की मानक फसलों का आकलन हो जाता है।

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वंदना सिंह तेजतर्रार के साथ एक बेहतर जनसेवक के तौर पर जानी जाती हैं।

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रुद्रप्रयाग कलेक्टर से पहले वे पिथौरागढ़ जिले में सीडीओ के पद पर थीं। वहां भी वे लोगों के बीच काफी घुलमिलकर रहीं।

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मुख्य विकास अधिकार(CDO)रहते हुए वे IAS बनने का सपना देखा करती थीं। कहते हैं कि उन्होंने नौकरी के बाद अपना सारा समय पढ़ाई पर दिया। वे रुद्रप्रयाग जनपद में तीसरी महिला कलेक्टर हैं।

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वंदना सिंह यूपीएससी-2012 में आठवां और हिंदी माध्यम से पहला स्थान पाने वालीं 24 साल की पहली लड़की थीं।

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वंदना के पिता महिपाल सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि गांव में अच्छा स्कूल नहीं होने पर उन्होंने अपने बेटे को शहर में पढ़ने भेजा। तब वंदना ने भी बाहर जाकर पढ़ने की जिद पकड़ ली थी। आखिरकार उसकी जिद के आगे झुकना पड़ा।
 

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