जगेंद्र सिंह चौहान 25 फरवरी को घर आने वाले थे। उनके घर स्वागत की तैयारियां चल रही थी। वो घर तो आए, लेकिन तिरंगे में लिपटकर। उनके शहीद होने की सूचना मिलते ही पत्नी किरन चौहान और माता विमला चौहान गहरे सदमे में हैं। करीब चार साल पहले उनका विवाह हुआ था। वे मूलरूप से भनस्वाड़ी, थत्यूड़ ब्लॉक, टिहरी गढ़वाल के रहने वाले थे, उनके पिता 2007 से कान्हरवाला भानियावाला में रह रहे हैं।