8 नौकरियां बदलने के बाद इस बेटी को आया एक शानदार आइडिया, एक कमरे से शुरू किया काम और बन गई करोड़पति

Published : Sep 20, 2020, 02:54 PM ISTUpdated : Sep 20, 2020, 03:03 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड). अक्सर सुना है कि अगर दिल में कुछ करने की चाहत हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है पहाड़ों की बेटी दिव्या रावत ने। उनके दिमाग में एक आइडिया क्लिक हुआ और निकल पड़ीं अपनी कामयाबी के सफर पर। अपनी सही सोच और मेहनत की दमपर वह जल्द ही सफलता के शिखर तक पहुंच गईं और आज पूरा देश उन्हें मशरूम गर्ल के नाम से जानता है। दिव्या की सफलता की कहानी हजारों लड़कियों और ऐसे युवाओं को सीख देती है जो अपनी किस्मत और नौकरी के भरोसे बैठे रहते हैं। उनकी इस कामयाबी के बाद दिव्या को राष्ट्रपति नारी शक्ति सम्मान से नवाजा जा चुक है। आइए जानते हैं कामयाबी की कहानी के बारे में...  

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8 नौकरियां बदलने के बाद इस बेटी को आया एक शानदार आइडिया, एक कमरे से शुरू किया काम और बन गई करोड़पति

मशरूम गर्ल दिव्या मूल रूप से देहरादून की रहने वाली हैं, वह स्कूल की पढ़ाई करने के बाद कॉलेज की स्टडी के लिए दिल्ली गईं। जहां उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई की। इसक बाद वह वो यहीं के ‘शक्तिवाहिनी’ नाम के एक एनजीओ में जॉब करने लगीं। लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा तो वह यहीं की एक प्राइवेट कंपनी में 25 हजार रुपए महीने की नौकरी करने लगीं। इस तरह दिव्या ने एक-एक करके करीब 7 से 8 नौकरियां बदलीं, लेकिन कहीं भी उनका मन नहीं लगा। फिर साल  2013 में नौकरी को छोड़कर कुछ अलग करने की ठानी और अपने शहर देहरादून लौंट आईं।
 

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जब दिव्या अपने प्रदेश लौंटी तो यहां उन्होंने देखा कि उनके आसपास के युवा लड़के-लड़कियां सिर्फ 7 से 8 हजार की नौकरी के लिए पलायन कर रहे हैं। इस दौरान दिव्या ने कई गांवो का दौरा किया और कई महीनों तक उन इलाकों में रहीं। वह सोचती रहीं कि ऐसा क्या काम किया जाए कि जिससे लोगों को घर बैठे-बैठे रोजगार मिले और पलायन रुक जाए। जिसके लिए उन्होंने कृषि के क्षेत्र में हाथ अजमाने का सोचा। साल 2015 से दिव्या ने मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ली और मशरूम उगाने के सफर पर निकल पड़ीं।
 

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शुरुआत में दिव्या ने 3 लाख रुपए के इन्वेस्टमेंट करके  मशरूम की खेती करने लगीं। धीरे-धीरे उनको कम पैसे में ज्यादा लाभ होता गया और उन्होंने अपनी खुद की एक कंपनी बना दी। जिसको नाम दिया गया ‘सौम्या फूड प्राइवेट कंपनी’। फिर वह अपने राज्य के युवाओं को इसकी खेती करने की सलाह देने के साथ-साथ ट्रेनिंग भी देने लगीं। आज उनकी कंपनी ने हजारों लोगों को रोजगार दे चुकी है।
 

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इस तरह से दिव्या महज 5 साल के अंदर उत्तराखंड में मशरूम उत्पादन की 55 से ज्यादा यूनिट लगा चुकी हैं। आलम यह है कि आज उनकी कंपनी हर साल करीब 2 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओबर करती है। इसके अलवा कई लोगों को नौकरी देती है। इतना ही नहीं दिव्या की कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले प्रोडक्ट  विदेश तक बिकने के लिए जाते हैं।

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एक इंटरव्यू के दौरान दिव्या ने बताया कि मशरूम की खेती हर मौसम में कर सकते हैं, दो महीने में इसकी फसल आ जाती है। कोई भी व्यक्ति इसको कर सकता है, आप 10 बाय 12 के एक कमरे से भी मशरूम की खेती शुरू कर सकते हैं। एक कमरे में आप सारे खर्चे काटकर 5 से 6 हजार का मुनाफा तो कमा ही सकते हो। बस आपको इसकी सही ट्रेनिंग मिली हो, इसके बाद आप खुद एक दिन बड़े बिजनेसमैन बन सकते हैं।

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उत्तराखंड सरकार ने दिव्या के इस सराहनीय काम के लिए 'मशरूम की ब्रांड एम्बेसडर' बना चुकी है। दिव्या ने बताया था कि एक यूनिट की शुरुआत 30 हजार रुपए में हो जाती है। इसमें प्रोडक्शन कॉस्ट 15 हजार रुपए होती है और 15 हजार इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च होता है जो मिनिमम 10 साल तक चलता है। 

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लालकृष्ण आडवाणी के साथ दिव्या रावत।

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आज देश-विदेश में दिव्या रावत मशरूम लेडी के नाम से जानी जाती हैं।

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अपनी खुद की युनिट की बनी मशरूम दिखाती हुईं दिव्या रावत

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इस कामयाबी के बाद देश विदेश के कई लोग आज दिव्या रावत से मिलने और ट्रेनिंग लेने के लिए आते हैं।

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