मिलिए देवभूमि की इस 13 की बच्ची से..जो पर्यावरण बचाने UN तक जा पहुंची, एक तबाही ने बदल दी उसकी लाइफ

देहरादून (उत्तराखंड). पूरी दुनिया में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस यानि World Environment Day मनाया जाता है। जिसका उद्देशय होता है कि लोग जागरुक बने और पर्यावरण को होने वाले खतरे के बारे में जागरूकता फैलाना है। वह खुद तो सकारात्मक बदलाव लाएं, लेकिन दूसरों को भी प्रेरित करें।  क्लाइमेट चेंज ना सिर्फ पर्यावरण पर असर पड़ रहा है बल्कि यह सेहत पर भी असर डाल रहा है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों की जिंदगी खतरे में डाल रहा है। क्योंकि आधुनिकता की दौड़ में भागने के चक्कर में प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, सरकार ने  पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। इसलिए प्रदूषित हवा चिंतित एक 13 साल की बच्ची ने पर्यावरण सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है। वह इसके लिए पीएम मोदी से लेकर आम आदमी तक को इसके बारे में लेटर लिख चुकी है। आइए जानते हैं कौन है ये देश की सबसे छोटी पर्यावरण एक्टिविस्ट...

Asianet News Hindi | Published : Jun 5, 2021 7:15 AM IST / Updated: Jun 05 2021, 06:58 PM IST
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मिलिए देवभूमि की इस 13 की बच्ची से..जो पर्यावरण बचाने UN तक जा पहुंची, एक तबाही ने बदल दी उसकी लाइफ

दरअसल, देवभूमि यानि उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार में रहने वाली इस होनहार बच्ची का नाम रिद्धिमा पांडे है। जो कि  9वीं कक्षा में पढ़ने के अलावा वह  पर्यावरण एक्टिविस्ट भी है। सोशल मीडिया के माध्यम से वह आए दिन बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाती रहती है। रिद्धिमा ने फेसबुक पर #saalbhar60 की मुहिम भी शुरु की है।

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बता दें कि साल 2017 में हरिद्वार की जलवायु एक्टिविस्ट रिद्धिमा ग्रेटा थनबर्ग के साथ उन 16 बच्चों में शामिल रही हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन पर सरकारी कार्रवाई की कमी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट एक्शन समिट में शिकायत दर्ज कराई थी।

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बताया जाता है कि 2013 में केदारनाथ आपदा का भी रिद्धिमा पर असर पड़ा और शायद तब उसने पहली बार ‘जलवायु परिवर्तन’ के बारे में सुना था। फिर उसने बाढ़ के कारण हुई भयानक तबाही के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना शुरू किया। उसने देखा कि लोग अभी भी इस तबाही की भरपाई नहीं कर पाए हैं। वह नहीं चाहती है कि और फिर ऐसी कोई तबाही आए। इसलिए वो दिन ब दिन बढ़ रही ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याओं को लेकर भी जागरूकता फैलाती रहती है।

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पिछले साल सिंतबर 2020 में रिद्धिमा ने प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्टी लिखी थी। जिसमें उसने बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ तत्काल कदम उठाने की मांग की थी। रिद्धिमा का यह पत्र सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुआ था। इस पत्र में लिखा था कि पीएम मोदी जी अगर पर्यावरण के लिए कुछ नहीं किया गया तो एक दिन सभी को ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलना पड़ेगा। रिद्धिमा ने लिखा कि देश के बड़े शहरों जैसे-दिल्ली-मुंबई और चेन्नई जैसे घने शहरों में प्रदूषण के कारण अक्टूबर के बाद सांस लेना मुश्किल हो जाता है। एसलिए आप से निवेदन है कि तत्काल इस पर ध्यान दीजिए। 

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रिद्धिमा समय-समय पर रिद्धिमा पर्यावरण के लिए मुहिम चलाती रहती हैं। उनका कहना है कि हम गंगा को अपनी मां कहते हैं लेकिन रोजाना इसमें मूर्तियां, कपड़े, प्लास्टिक की थैलियां फैंकी जाती है। ना ही तो सरकार और ना ही लोग इसका स्वच्छता की ओर ध्यान दे रहे हैं। रिद्धिमा का लोगों से कहना है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करें। धुएं वाले वाहनों की बजाए साइकिल यूज करें।
 

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रिद्धिमा पांडे के पिता दिनेश चंद्र पांडे हैं जो कि खुद  पर्यावरण एक्टिविस्ट हैं। वह  वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया नाम के एक एनजीओ में काम करते हैं। वह  इस संस्था से वह 2001 से जुड़े हुए हैं। वहीं उनकी पत्नी वन विभाग में काम करती हैं। पूरा परिवार पर्यावरण को बचाने में जुटा हुआ है। पिता ने बताया कि जब रिद्धिमा छोटी थीं तो हम उनको जंगल ले जाया करते थे। यहीं से उसकी जंगलों और वन्य जीवों के प्रति रुचि पैदा हुई।
 

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