2 माह की बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि, पत्नी बोली उनको ताबूत से निकलो परी को देखना है पापा का चेहरा


गुरुदासपुर (पंजाब). भारतीय सेना के जवान और पंजाब की माटी का वीर सपूत रंजीत सिंह का अंतिम संस्कार उसके शहीद होने के चार दिन बाद पैतृक  गांव सिद्धपुर में किया गया।  इस दौरान हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला । जब शहीद पिता को उसकी 2 माह की उस बेटी ने मुखाग्नि दी जिसका चेहरा जवान देखा भी नहीं था। मासूम का यह दृश्य देखती ही हर किसी ने अपनी आंखें बंद कर लीं। पत्नी दीया ने जैसे पति के ताबूत को देखा तो वह बार-बार यही कह रही थी कि रंजीत को उसमें से बाहर निकालो नहीं तो उसका दम घुट जाएगा। मेरी बच्ची परि अपने पापा को एक बार देखना चाहती है। बस यह कहते ही वह बेसुध हो गई। बता दें कि 14 जनवरी यानी मंगलावार को कश्मीर घाटी में बर्फीले तूफान और हिमस्खलन में  4 जवान शहीद हो गए थे, उन्हीं में से एक हैं सिपाही रंजीत सिंह।

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2020 12:45 PM IST / Updated: Jan 18 2020, 06:36 PM IST

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2 माह की बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि, पत्नी बोली उनको ताबूत से निकलो परी को देखना है पापा का चेहरा
जब मासूम बच्ची ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी तो हर कोई नम आंखों से बोला- ईश्वर यह दिन किसी को न दिखाए। जिस बेटी का उसने इतने प्यार से दो महीने पहले नाम सानवी रखा था। आज वही उसी का अंतिम संस्कार कर रही है।
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शहादत के चार दिन बाद रंजीत का पार्थिव शरीर गुरुवार शाम को विमान के जरिए श्रीनगर से अमृतसर के एयरपोर्ट लाया गया था। इसके बाद सेना के जवानों ने सैन्य वाहन से पार्थिव शरीर को शुक्रवार सुबह उनके गांव सिद्धपुर लाया गया। जैक राइफल्स के जवानों ने शहीद को सलामी दी गई। जब शहीद का शव तिरंगे में लिपटा गांव पहुंचा तो वहां मातम पसर गया। पत्नी दीया ,मां रीना देवी, पिता हरबंस सिंह, बहन जीवन ज्योति चीख-चीखकर रोने लगे।
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बता दें कि शहीद रंजीत सिंह जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के माछ‍िल-उरी सेक्टर में तैनात थे। वह साल 2015 में सेना की 221 आरटी यूनिट में भर्ती हुआ था।
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शहीद रंजीत सिंह की 26 जनवरी 2019 को पठानकोट के गांव रानीपुर बासा की लक्की कुमारी के साथ शादी हुई थी। वह दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे। रंजीत ने लोहड़ी से एक दिन पहले घर पर फोन कर हालचाल पूछा और अप्रैल के महीने में घर आने का बोला था।
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रंजीत सिंह के घर एक महीने पहले यानी दिंसबर में एक 'नन्ही परी' आई थी। लेकिन किस्मत तो देखो रंजीत अपनी इस बेटी का चेहरा देखे बिना ही शहीद हो गए।
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जैसे ही पिता हरबंस ने बेटे की शहीद होने की खबर टीवी पर सुनी तो वह सुनते हे बेसुध हो गए। सिपाही के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वह सभी बार-बार यही बोल रहे हैं कि एक साल पहले ही तो उसकी शादी हुई थी। वह बहू को अकेला छोड़कर चला गया।
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शहीद की मां अपने बेटे की फोटो बार-बार देखकर रोती रहती हैं। वह रोते हुए कह रही हैं कि अभी तो उसकी बेटी ने जन्म लिया था और वह अपनी बेटिया को देख बिना ही चला गया।
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