कोरोना काल में सामने आया ऐसा भिखारी, जिसने जीता सबका दिल, PM मोदी भी हुए उसके मुरीद...

Published : May 31, 2020, 04:54 PM ISTUpdated : May 31, 2020, 05:23 PM IST

पठानकोट (पंजाब). कोरोना संकट में कई लोग जरुरतमंदों की मदद कर रहे हैं। वहीं इसी बीच पंजाब से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जहां एक भिखारी ने मानवता की शानदार मिशाल पेश की है। वह भीख मांकर जुटाए पैसे से गरीबों-बेसाहारा लोगों को राशन बांट कर मदद कर रहा है। इतना ही नहीं उसके इस सराहनीय काम को देखकर पीएम मोदी भी उसको मुरीद हो गए। रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते वक्त मोदी ने इस भिखारी की जमकर तारीफ की।

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कोरोना काल में सामने आया ऐसा भिखारी, जिसने जीता सबका दिल, PM मोदी भी हुए उसके मुरीद...

दरअसल, संकट के वक्त गरीबों के लिए मसीहा बनने वाले इस शख्स का नाम राजू है। जो चलने-फिरन में असमर्थ है यानी वो दिव्यांग है। वह भीख मांग अपना गुजारा करता है। राजू अब तक 200 गरीब परिवारों को एक महीने का राशन और  3000 मास्क बांट चुका है। 
 

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राजू धूल भरे कपड़े पहनता है और शहर की चौराहों पर व्हीलचेयर पर बैठ भीख मांगता है। लेकिन उसकी सोच बड़े-बडे बिजनेसमैनों से बड़ी है। वह भीख मांगकर अपने पास सिर्फ उतने ही रुपए रखता है, जितने में उसका गुजारा हो जाए। बाकी के पैसों को वह गरीबों के लिए बांट देता है।
 

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जानकारी के मुतबिक, राजू इससे पहले भी कई बार समाज सेवा कर चुके हैं। वह करीब 22 गरीब लड़कियों की शादी अपने पैसे से करवा चुके हैं। वह हर साल एक बार गरीबों के लिए भंडारा भी करवाते हैं। इतना ही नहीं राजू ने एक पुलिया का निर्माण भी करवाया है, जहां आए दिन हादसे होते रहते थे।
 

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लॉकडाउन में भी राजू रोजाना की तरह पठानकोट की सड़कों पर अपनी व्हीलचेयर पर बैठकर निकल जाते हैं। वो शहर के लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने की अपील करते हैं। वह लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन करते हैं कि इस महामारी में आप सावधान और सर्तक रहिए।

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मिली जानकारी के अनुसार, राजू बचपन से ही दिव्यांग है, उसके परिवार में तीन भाई और तीन बहनें । बता दें कि उसके माता-पिता की मौत भी बचपन में ही हो गई थी। दिव्यांग होने के चलते परिवारवालों ने उसको घर से निकाल दिया था, ऐसे में उसके पास भीख मांगने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

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राजू का कहना है कि वस यह सब इसलिए करते हैं ताकि कोई मुझ जैसा भूखा ना सोए। उन्होने कहा- वह भिखारी हैं, इसलिए उनके रिश्तेदार उनसे संबंध नहीं रखते। उनका कोई नहीं है इसलिए वो सारा पैसा अच्छे कामों पर खर्च कर देते हैं। उनका मानना है कि अगर वह लोगों की मदद करेंगे तो उनके मरने के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए लोग आगे आएंगे। ताकि उनकी लाश को किसी लावारिस की तरह ना पड़ी रहे।
 

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तस्वीर में आप साफ तौर पर देख  सकते हैं कि किस तरह राजू लोगों से भींख मांगता है, फिर इन्हीं पैसों से गरीबों के लिए राशन बांट रहा है।

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भिखारी राजू भीख के पैसे गरीब बच्चों के लिए किताबें खरीद कर भी देता है। उसका मनना है कि बुरे हालात के चलते मैं नहीं पढ़ा पाया तो कम से कम मैं किसी गरीब की मदद तो कर ही सकता हूं।

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