जलियांवाला बाग : पढ़िए उस कुएं की कहानी, जहां खून से लाल मिट्टी पर लगा था लाशों का अंबार, अब कैसा लगता है वहां

Published : Apr 13, 2022, 12:13 PM IST

अमृतसर : जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh Massacre) को 103 साल हो गए हैं लेकिन जख्म आज भी ताजा हैं। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर (Amritsar) के जलियांवाला बाग में जो कुछ हुआ था, वह दुनिया के सबसे भयानक नरसंहारों में एक माना जाता है। तब निहत्थे और निर्दोष लोगों पर जनरल डायर (General Dyer) ने गोलिया चलवाईं थी। चारों तरफ अफरा-तफरी थी। लोग जान बचाकर इधर-उधर भाग रहे थे तो कई वहां मौजूद कुएं में कूद गए थे। यह कुआं आज भी उस काले दिन के निशान अपनी गहराईयों में लिए हुए है। भले ही कुएं का रेनोवेशन कर दिया गया हो लेकिन नहीं बदला जा सका है तो वह मंजर जो आज भी  सिरहन पैदा करता है। पढ़िए उस कुएं की कहानी, जो लाशों से पट गया था...

PREV
15
जलियांवाला बाग : पढ़िए उस कुएं की कहानी, जहां खून से लाल मिट्टी पर लगा था लाशों का अंबार, अब कैसा लगता है वहां

वो वह दौरा था जब देश में आजादी पाने की बेचैनी थी। बैशाखी का दिन था और बड़ी संख्या में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और नौजवान जलियांवाला बाग में जुटे थे। भारत की स्वतंत्रता को लेकर रणनीति पर बात चल रही थी। देश को आजादी दिलाने सौंगध खाई जा रही थी कि तभी जनरल डायर अंग्रेजी फौज के साथ वहां पहुंच गया और गोलियां बरसाने का ऑर्डर दे दिया। 
 

25

करीब 10 मिनट तक बिना रुके गोलियां चलती रहीं। कई लोग मारे गए, अफरातफरी मच गई। जान बचाने लोग इधर उधर भागने लगे। चूंकि बाग में आने-जाने के लिए एक ही रास्ता था वो भी संकरा जहां सामने अंग्रेज सैनिक खड़े थे। किसी को भागने का मौका नहीं मिला। कोई दीवार पर चढ़ने हुए गोली की चपेट में आया तो कोई जान बचाने वहां मौजूद एक कुएं में कूदने लगा। इससे भी कई लोगों की जान गई। 

35

यह वही कुआं है, जिसमें आज से ठीक 103 साल पहले नरसंहार के दौरान लोग अपनी जान बचाने के लिए कूद गए थे। जब नरसंहार खत्म हुआ तो इस कुएं से 120 शव निकाले गए थे। जिसमें बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और नवयुवक भी थे।

45

जलियांवाला बाद को अब पूरी तरह बदल दिया गया है। यहां आने और जाने के रास्ते भी बदल गए हैं। शहीदी कुएं को भी एक शीशे की चादर से ढक दिया गया है। अब कोई भी यहां झांक नहीं सकता है। इससे पहले तक कुएं में उस काले दिन की कई निशानियां मौजूद थी।

55

शहीदी कुएं में नीचे तक देखने के लिए लाइटिंग और लैंड स्कैपिंग लगाया गया है। नई शहीदी गैलरी, म्यूजिकल फाउंटेन बनाया गया है। इसमें 13 अप्रैल 1919 के नरसंहार को दिखाया जाएगा। यहा बने स्मारक में 7-डी थिएटर,पर्यटकों के लिए एसी गैलरी, एलईडी स्क्रीन से इतिहास दिखाया जाता है। 

Recommended Stories