चंडीगढ़. खाने को हाथ में कुछ नहीं और जेब में एक पैसा नहीं! ये उन मजदूरों की कहानी है, जो लॉकडाउन में काम-धंधा बंद होने के बाद अपने-अपने घरों को निराश होकर लौट रहे हैं। हजारों मजदूरों के साथ उनके मासूम बच्चे भी हैं। जो थोड़ा-बहुत भी चल सकते हैं, वे चलने को तैयार हैं। कइयों के पैरों में चप्पलें नहीं हैं। जून की भीषण गर्मी में सूरज आग बरसा रहा है और जमीन तप रही है, बावजूद बच्चों को चलते रहना है। चाहे पैरों में फफोले पड़ें। अगर अकेल पंजाब की बात करें, तो करीब 11 लाख लोगों ने घर वापसी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा रखा है। सरकार का दावा है कि वो सवा लाख लोगों को उनके घरों तक भेज चुकी है। देखिए प्रवासी मजदूरों की घर वापसी से जुड़ीं कुछ मार्मिक तस्वीरें..