CM की रेस से बाहर हुए सुखजिंदर रंधावा, विधायकों की थे पहली पसंद..लेकिन हाईकमान ने नहीं लगाई मुहर

चंडीगढ़. कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद सबके मन में यही सवाल था कि आखिर कौन पंजाब का मुख्यमंत्री होगा। हालांकि अब इसको लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है। चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, रविवार शाम में चंडीगढ़ में हुई विधायक दल की बैठक में पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा को सीएम की पहली पसंद बताया था। लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 19, 2021 10:23 AM IST / Updated: Sep 19 2021, 07:20 PM IST
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CM की रेस से बाहर हुए सुखजिंदर रंधावा, विधायकों की थे पहली पसंद..लेकिन हाईकमान ने नहीं लगाई मुहर

राहुल गांधी गुड लिस्ट में हैं रंधावा
 दो दिन तक चली कांग्रसे की विधायक दल की बैठक में सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर सहमति बनी थी। जितने भी नाम चर्चा में थे उनमें से किसी को भी पंजाब की कुर्सी नहीं मिली है। मीडिया में चर्चा होने लगी थी कि राहुल गांधी रंधावा के नाम का ऐलान करने वाले हैं। क्योंकि वह गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। साथ ही पंजाब में कई जिम्मेदारियां को निभा चुके हैं।

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कैप्टन सरकार में थे कैबिनेट मंत्री
सुखजिंदर सिंह रंधावा कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में जेल और सहकारिता मंत्री भी रहे हैं। वह मूल रुप से पंजाब के माझा क्षेत्र के गुरदासपुर ज़िले के रहने वाले हैं। वह डेरा बाबा नानक सीट से विधायक हैं और तीन बार 2002, 2007 और 2017 में कांग्रेस विधायक रहे हैं।रंधावा राज्य कांग्रेस के उपाध्यक्ष और एक जनरल सेक्रेटरी के पद पर रह चुके हैं।

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पिता रह चुके हैं राज्य कांग्रेस अध्यक्ष
बता दें कि रंधावा ऐसे परिवार से आते हैं जिनकी तीन पीढ़ियां कांग्रेस में रही हैं। उनके पिता संतोख सिंह दो बार राज्य कांग्रेस अध्यक्ष थे। पंजाब में वह कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता को तौर पर जाने जाते थे। उन्होंने अपने पिता के साथ रहकर राजनीति की बारीकियां सीखीं हैं।

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कैप्टन के खिलाफ खोला था मोर्चा
सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बेहद करीबी हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सिद्धू के साथ मिलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ मोर्चा खोला था। वह मंत्री रहते हुए भी सरकार पर चुनावी वादों को पूरा ना कर पाने का आरोप लगाते रहे हैं।

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बादल परिवार को भी नहीं छोड़ा
रंधावा की पहचान आक्रामक नेता के रुप में होती है। उन्होंने  बादल परिवार के ख़िलाफ 2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और उसके बाद पुलिस फ़ायरिंग में दो युवकों की मौत के मामलों में आरोपियों पर मुक़दमा न चलने का मुद्दा उठाया था।

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