2 बच्चों की एक साथ निकली अर्थी तो हर कोई रो पड़ा, लोग बोले-मरने के बाद भी कई की जान बचा गए दोनों
तरनतारन (पंजाब). तारनतरन में नगर कीर्तन के दौरान ट्राली में हुए धमाकों में मारे गए जब दो बच्चों की अर्थी निकली तो हर कोई रो पड़ा। रविवार को नाबालिग गुरप्रीत सिंह और मनदीप सिंह का अंतिम संस्कार पाहुविंड में सिख मर्यादा के अनुसार कर दिया गया। दोनों बच्चे अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे। हादसे में जख्मी चश्मदीद अनमोल प्रीत ने बताया कि दोनों मासूम मरने के बाद भी कई लोगों की जान बचा गए। मनदीप व गुरप्रीत पटाखों की बोरियों पर बैठे थे। अगव वह दोनों उनके ऊपर ना बैठे होते तो यह धमाका ज्यादा बड़ा होता और कई लोगों की मौत हो सकती थी। उन किशोरों ने धमक को अपने में समेट लिया जिससे उनकी जान चली गई।
Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2020 7:41 AM IST / Updated: Feb 10 2020, 01:19 PM IST
तरनतारन जिले में शनिवार को धार्मिक जुलूस के दौरान पटाखा विस्फोट में हादसा तब हुआ, जब नगर कीर्तन में शामिल श्रद्धालु बाबा दीप सिंह के जन्मस्थान पहुविंड से शहीदी स्थित गुरुद्वारा टाहला साहिब जा रहे थे। पटाखों की ट्रॉली में करीब 6 किलो खुला पोटेशियम रखा था। इसी बीच, शाम करीब 4.00 बजे नगर कीर्तन जब गांव डालेके पहुंचा तो पटाखों की चिंगारी खुले पोटेशियम में गिर गई और धमाका हो गया। जिसमें एसएसपी ध्रुव दहिया ने पहले 14 लोगों के मारे जाने की आशंका जताई थी। इसके तुरंत बाद आईजी बॉर्डर रेंज एसपीएस परमार ने दो बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की।
धमाका इतना जबरदस्त था कि जिस ट्रॉली में धमाका उसके परखच्चे उड़ गए। जिसमें मौके पर ही दोनों मासूमों ने दम तोड़ दिया। वहीं कई लोग बुरी तरह से घायल हो गए। आलम यह था कि हादसे के समय लोग यह पता नहीं लगा पा रहे थे इसमें कितने लोगों की मौत हुई है।
जब तरनतारन जिले के गांव पहुविंड में दोनों बच्चों की अर्थी पहंची तो वहां हर किसी के आंख से आंसू छलक रहे थे। दोनों की चिताएं एक साथ जलीं। ये दोनों बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ कीर्तन में शामिल हुए थे।
धमाके में मारा गया गुरप्रीत सिंह (13) छठी क्लास में पढ़ता था। गुरप्रीत के परिजनों ने बताया कि शादी के आठ साल बाद गुरप्रीत का जन्म हुआ था
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हादसे की जांच के आदेश दिए। उन्होंने मृतकों के परिजन को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की।
वहीं कुछ लोगों ने कहा- पटाखे चलने वाले युवकों को कई बार कायदे से पटाखे चलने के लिए कहा गया था। कई लोगों ने उन्हें रोका भी, लेकिन वे नहीं माने।
दोनों बच्चों के परिजनों ने रोतो हुए सरकार से गुहार लगाते हुए कहा-प्रशासन को आतिशबाजी पर रोक लगानी चाहिए, जिससे आगे से ऐसी घटना न घटे।