राजस्थान के रेगिस्तान में काल बनकर आई बारिश : 15 दिन में 40 से ज्यादा लोगों की मौत, 78 साल बाद ऐसा बरसा पानी

जयपुर. राजस्थान में इस साल मानसून पूरी तरह से मेहरबान है। मानसून शुरू होने के महज 15 दिन में ही राजस्थान पूरी तरह से पानी से लबालब हो चुका है। लगातार हो रही बारिश ने जहां राजस्थान में जोधपुर जैसलमेर और बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी इलाकों में भी हरियाली ला दी है। वहीं इस बार यह बारिश राजस्थान के लिए आफत भी बनी है। मानसून के महज शुरुआती 15 दिनों में ही अब तक बारिश के चलते 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में ऐसी बारिश करीब 78 साल बाद हुई है। 3 अगस्त से मौसम विभाग ने एक बार फिर मानसून एक्टिव होने की चेतावनी दे दी है। ऐसे में एक बार यह खतरा वापस बढ़ेगा। साथ ही मौतों का आंकड़ा भरना भी निश्चित है।

Arvind Raghuwanshi | Published : Aug 2, 2022 12:22 PM IST
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 राजस्थान के रेगिस्तान में काल बनकर आई बारिश : 15 दिन में 40 से ज्यादा लोगों की मौत, 78 साल बाद ऐसा बरसा पानी

1. जयपुर के ब्रहमपुरी थाना इलाके में बारिश के बीच हथिनी कुंड में 19 साल का एक लड़का बारिश के दौरान अपने छोटे भाई और दोस्तों के साथ नहाने के लिए गया था। उसे बिल्कुल भी पता नहीं था कि यह सुहावना मौसम उसकी जान ले लेगा। बारिश के बीच उसे पता नहीं लगा कि कुंड की गहराई कितनी है। कुंड में आगे चलने पर वह डूब गया। डूबने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सिविल डिफेंस की टीम ने युवक को 1 घंटे की मशक्कत के बाद बाहर निकाला।

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2. 1 अगस्त को श्रीगंगानगर के बोटिंग पोंड में पास की ही कच्ची बस्ती के रहने वाले दो लड़के जिनकी उम्र 13 साल से कम थी। नहाने के लिए गए थे। डूबने से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना में मृत दोनों बच्चों सन्नी और देव का शव करीब 2 घंटे बाद बाहर निकाला गया। 
 

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3. 1 अगस्त को कोटा के भवानी मंडी इलाके में दो लड़कियां कृष्णा और राधिका स्कूल से आने के बाद बकरियां चराने के लिए गई हुई थी। तालाब किनारे कृष्णा का अचानक पैर फिसल गया। इससे वह पानी में डूब गई। राधिका कृष्णा को बचाने के लिए पानी में कूदी लेकिन बचा नहीं पाई। 4 घंटे बीत जाने के बाद भी जब दोनों कर नहीं लौटी तो परिजनों ने उनकी तलाश की तो पता चला कि दोनों तालाब में डूब गई। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद दोनों के शव को बाहर निकाला गया।
 

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4. करीब 15 दिन पहले उदयपुरवाटी क्षेत्र में कदम कुंड में एक मोहित नाम का युवक डूब गया। एमबीबीएस करने वाला यह युवक पर अपने कुछ दोस्तों के साथ ननिहाल आया था। जहां से उन्होंने कुंड में नहाने का प्रोग्राम बनाया। लेकिन इसी बीच अचानक उसका पैर फिसल गया और वह गहराई में चला गया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद मोहित का शव निकाला गया।

5. वही सीकर में भी शाकंभरी इलाके में एक युवक जो नागकुंड में नहाने के लिए अपने दोस्तों के साथ गया था। अचानक गहराई की तरह गया। डूबने से उसकी भी मौत हो गई। साथियों ने उसे बचाने की काफी कोशिश की। लेकिन वह बच नहीं पाया। 2 घंटे की मशक्कत के बाद उसका शव निकाला गया।
 

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6. कोट बांध में डूबे 3 दोस्त

तीज के त्यौहार पर छुट्टी वाले दिन सीकर और झुंझुनूं में सेट्रिंग का काम करने वाले करीब 10 दोस्त शराब के नशे में धुत होकर कोट बांध में नहाने के लिए गए थे। मेन रास्ते से जब पुलिस वालों ने उन्हें एंट्री नहीं दी तो वह पीछे के रास्ते से कुंड में चले गए। यहां सीकर के दो और झुंझुनू का एक लड़का डूब गया। 1 घंटे की मशक्कत के बाद तीनों के शव निकाले गए।
 

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7. श्रीगंगानगर के ग्रामीण इलाके में करीब 7 दिन पहले एक ही गांव के रहने वाले 5 बच्चे जिनके माता पिता मजदूरी का काम करते हैं वह गांव की एक डिग्गी में नहाने के लिए उतरते थे। एक बच्चा आगे की तरफ चला गया। जिसे बचाने के लिए चारों बच्चे भी पानी में गए। डूबने से सभी की मौत हो गई।

8. भीलवाड़ा में भी करीब 1 सप्ताह पहले ऐसा यह हादसा हुआ गांव के एक तालाब पर दो बच्चे नहाने के लिए गए थे। जिन्हें तालाब की गहराई का पता नहीं था ऐसे में दोनों डूब गए।

9. 15 जुलाई को नागौर शहर में रहने वाले 5 बस्ती के बच्चे पास के एक मैदान जिसे नगर परिषद ने डंपिंग यार्ड बनाया हुआ था। खेलने के लिए गए हुए थे। यहां पांच 5 फीट के गड्ढे बने हुए थे। जिनमें बारिश के कारण पानी भरा हुआ था। जिसमें डूबने से पांचों की मौत हो गई।

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10. जोधपुर में 1 सप्ताह पहले 3 दिन तक लगातार इस कदर बारिश हुई कि रुकी ही नहीं। बारिश के चलते पूरा जोधपुर समुद्र बन गया। जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। हालांकि सरकार ने इन मृतकों को मुआवजा भी दिया है। लेकिन परिवार आज भी अपने सदस्यों को खोने के सदमे से बाहर नहीं निकल पाया है।

11. 8 दिन पहले बीकानेर में भी एक ऐसा ही हादसा हुआ। जिसमें डिग्गी में नहाने के लिए तीन बच्चे डूब गए। 

12. बीकानेर के ही ग्रामीण इलाके में करीब 10 दिन पहले रात को एक परिवार के 3 लोग अपने कच्चे मकान में सो रहे थे। रात को हुई बारिश के चलते मकान भरभरा कर गिर गया। घटना में मां-बाप सहित बेटे की मौत हो गई।

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रेगिस्तान में चले झरने, सड़क तोड़कर निकाला गया पानी
राजस्थान में मेहरबान हुए मानसून से हालात यह हो गए कि जोधपुर और जैसलमेर जैसे रेगिस्तानी इलाकों में पहाड़ों से झरने चले। वही जैसलमेर के रामगढ़ इलाके में गांव में इस कदर पानी भरा कि उसे निकालने के लिए सड़क को तोड़कर पानी दूसरी तरफ निकाला गया।

आपदा से निपटने के लिए बनाई टीमें
मानसून के शुरुआती 15 दिनों में आई तबाही को देखते हुए अब प्रशासन चेता है। जिसने राजधानी जयपुर और जोधपुर समेत कई इलाकों में क्विक रिस्पांस टीम बनाई है। जो तेज बारिश और बाढ़ के हालातों के समय लोगों तक राशन पहुंचाने उन्हें विस्थापित करने का काम करेगी।
 

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रेगिस्तान में बॉर्डर छोड़ बारिश में उतरी सेना
राजस्थान में सेना को अक्सर बॉर्डर इलाकों में देखा जाता है। लेकिन इस बार तेज बारिश के चलते हालात इतने बिगड़े की श्रीगंगानगर में 2 दिनों तक हुई तेज बारिश और जोधपुर में 3 दिनों तक हुई तेज बारिश के चलते जब प्रशासन की पूरी तैयारियां फेल हो गई। तू यहां सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला। जिन्होंने लोगों तक राशन पहुंचाने। पानी के बीच फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने का भी काम किया।

इस पूरी पड़ताल में हमारे सामने आया कि राजस्थान में इस बार आधी सभी बाद मानसून का पैटर्न चेंज हुआ है। सामान्य से भी करीब आधा गुना ज्यादा बारिश हुई। जिसने राजस्थान के सभी तालाबों नदियों को भी पूरी तरह से लबालब कर दिया। बारिश के इस सुहावने मौसम के बीच लोग नहाने के लिए इन तालाबों और नदियों में गए। लेकिन उन्हें गहराई का पता नहीं था। ऐसे में डूबने से मौत हो गई। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि विशेषज्ञों ने जब पहले ही अच्छी बारिश की चेतावनी जारी कर दी थी तो उसके बाद भी प्रशासन और पुलिस ने इन तालाबों नदियों और अन्य जगहों पर सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए।
 

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