पिता सांसद और मां डॉक्टर, बड़ी बेटी CA तो छोटी बनी IAS,पढ़िए एक क्लर्क का परिवार कैसे शिखर तक पहुंचा


कोटा (राजस्थान). कुछ ऐसे परिवार होते हैं जिनका हर सदस्य कामयाबी के शिखर तक पहुंचा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, राजस्थान के कोटा से सांसद और देश के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की फैमिली के बारे में, जिनकी कहानी दूसरों के लिए मेटिवेट करती है। बता दें कि पिता ओम बिड़ला सांसद हैं तो उनकी पत्नी अमिता बिड़ला डॉक्टर के पद पर लोगों की सेवा कर रही हैं। वहीं उनकी बड़ी बेटी सीए है, तो अभी छोटी बेटी अंजलि ने  सिविल सर्विजेस का एग्जाम पास कर आईएएस अफसर बनी हैं। अंजलि ने अपनी  सफलता का श्रेय खासतौर से अपनी बड़ी बहन और पिता को दिया है। इस समय हर तरफ लोकसभा स्पीकर की बेटी की चर्चा हो रही है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 10, 2021 5:31 AM IST / Updated: Jan 10 2021, 11:12 AM IST
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पिता सांसद और मां डॉक्टर, बड़ी बेटी CA तो छोटी बनी IAS,पढ़िए एक क्लर्क का परिवार कैसे शिखर तक पहुंचा


दरअसल, स्पीकर ओम बिड़ला मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं, जिनका जन्म 4 दिसम्बर 1962 कोटा में हुआ है। उनके पिता श्रीकृष्ण बिड़ला सरकारी कर्मचारी रहे हैं जो सेल टैक्स विभाग में नौकरी करते थे। ओम बिड़ला ने अपनी शुरुआती पढ़ाई  कोटा से पूरी की। इसके बाद महर्षि वहीं दयानन्द कॉलेज से बीकॉम और एमकॉम की डिग्री ली।

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बता दें कि सांसद ओम बिड़ला छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वह अपने कॉलेज में अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने  साल 1991 में अमिता बिड़ला से शादी की जिसके बाद ओम-अमिता के घर दो बेटियों ने जन्म लिया। जिनमें बड़ी बेटी अकांक्षा तो छोटी बेटी अंजलि है।

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कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद ओम बिड़ला राजनीति में सक्रिय रुप से आ गए। जहां उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। वह अब तक पांच चुनाव लड़े और पांचों ही जीते। वह तीन बार विधायक तो दो बार सांसद बने हैं।

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ओम बिड़ला की छोटी बेटी अंजलि के बारें में तो हर जगह चर्चा हो रही है, लेकिन उनकी बड़ी बेटी अंकाक्षा को बहुत की कम लोग जानते हैं। बता दें कि आकांक्षा बिड़ला चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जिनकी शादी राजस्थान के उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ के बेटे के साथ 2016 में हुई है। आकांक्षा का ससुराल भीलवाड़ा में है और बांगड़ के कंचन ग्रुप का नाम राजस्थान के सफल बिजनेस हाउसेज में शुमार है।

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सांसद ओम बिड़ला 1992 से 97 तक राजस्थान में प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे। वह कोऑपरेटिव मूवमेंट से भी जुड़े। साल 2003 में राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता शांतीलाल धारीवाल को हराकर विधानसभा तक पहुंचे थे। इसके बाद ओम बिड़ला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति में बढ़ते ही चले गए।

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वहीं प्रशासनिक सेवा में जाने के बाद अंजलि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं। अंजलि ने कहा कि उनका बचपन से यही सपना था कि वह बड़ी होकर गरीबों और महिलाओं के लिए काम करूं। सिविल सर्विसेज में चयन होने के बाद ओम बिरला के कोटा स्थित शक्तिनगर के आवास पर जश्न का माहौल बना हुआ है।

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बता दें कि अंजलि बचपन से पढ़ने में होशियार थी, 10वीं की परीक्षा में उनके अच्छे नंबर आए थे। इसके बाद भी जब उन्होंने साइंस लेने के बजाए आर्ट्स ली, तो सब हैरान थे। कोटा के सोफिया स्कूल से आर्ट्स में 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली के रामजस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस एडमिशन ले लिया। अंजलि ने बताया कि  कॉलेज आने के बाद ही उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का सोचा था। कॉलेज में ऑनर्स डिग्री हासिल करने के बाद मैंने दिल्ली में रहकर ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। सबसे खास बात यह है कि अंजलि बिरला का पहली बार में ही आईएएस की परीक्षा में चयन हो गया। उनका नाम वेटिंग लिस्ट में था, जो अब क्लियर हुआ है।

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अंजलि ने कहा अगर मेरी बड़ी दीदी आकांक्षा  मेरे साथ मेहनत नहीं करती तो शायद वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकती थी। उन्होंने मुझे पढ़ाया और हर समय मोटिवेट किया वो हर वक्त मेरे साथ रहती थीं। वो अपना काम निपटा लेने के बाद मेरी तैयारी में जुट जाती थीं। यहां तक कि उन्होंने सिविल परीक्षा से लेकर इंटरव्यू तक की रणनीति बनाने में पूरी मदद की। जब मैं निराश हो जाती तो वह मेराहौसला बढ़ाती थीं।

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