ये है देवी मां का चमत्कारिक रहस्यमयी मंदिर, जहां नहीं कोई मूर्ति..फिर भी इस खास वजह से आते हैं भक्त


जोधपुर/अहमदाबाद. मां शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि आज से शुरू हो गया है। कोरोना महामारी के बीच भक्तों के लिए मंदिर जरूर खोल दिए गए हैं, लेकिन गाइडलाइंस भी जारी की गई है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के मंदिरों में लोग नौ दिन तक माता जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इसी मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं देवी जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां कोई मूर्ती और कोई पिंडी नहीं है। फिर भी वहां पर देवी भक्त दूर दूर से उपासना करने के लिए आते हैं। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Oct 17, 2020 11:10 AM IST / Updated: Oct 17 2020, 05:31 PM IST
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ये है देवी मां का चमत्कारिक रहस्यमयी मंदिर, जहां नहीं कोई मूर्ति..फिर भी इस खास वजह से आते हैं भक्त

दरअसल, यह अनोखा मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की पहाड़ियों पर बना है। जिसे लोग 'अम्बाजी का मंदिर' के नाम से जानते हैं। जानकारी के मुताबिक, यह 1200 से 1400 साल पुराना है रहस्यमही मंदिर है, जहां गर्भगृह में मां की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है। यहां एक श्रीयंत्र आराधना की जाती है। जिसे कोई सीधे आंखों से देखा नहीं जा सकता।

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जानकारी के मुताबिक, इन पहाड़ियों पर मां सती का हृदय गिरा था। जहां पर एक पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलित रहती है। इसको देवी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। एक मान्यता ये भी है कि भगवान राम भी शक्ति-उपासना के लिए यहां आए थे। मान्यता के अनुसार कई लोग यह भी बताते हैं कि इसी धाम में भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था।
 

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इस शक्तिपीठ में आरती के बीच एक मिनट का विराम लिया जाता है। ऐसा सुबह-शाम दोनों पहर की आरती में होता है। इस विराम के दौरान पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर प्रज्ज्वलित ज्योति से अंबाजी के वीसा-यंत्र की विशेष पूजा करते हैं। शक्तिपीठ में देवी की प्रतिमा नहीं बल्कि यंत्र की पूजा होती है।

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सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर बहुत ही भव्य है। इसका शिखर सौ फीट से ज्यादा का है। जहां शिखर पर 358 स्वर्ण कलश लगे हुए हैं। नवरात्रि में इस मंदिर को विशेष रुप से सजाया जाता है। इस मौके पर यहां गरबा खेला जाता है।

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अम्बा जी के इस मंदिर से 3 किलोमीटर की दूर पर गब्बर पहाड़ भी मां अम्बे के पद चिन्हों और रथ चिन्हों के लिए जाना जाता है। भक्त इस पर्वत पर पत्थर से बने मां के पैरों के चिन्ह और मां के रथ के निशान देखने जरूर जाते हैं।

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इस मदिंर में जाने के लिए आप रेल,बस या हावाई के जरिए भी जा सकते हैं। आबू रोड रेलवे स्टेशन यहां से 20 किलोमीटर दूर है और वही यहा की सबसे पास की रेलवे स्टेशन है। दूसरी और आप अहमदाबाद से सड़क मार्ग से अंबाजी धाम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं यहां का सबसे करीब अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल इंटरनैशनल एयरपोर्ट है। जो यहां से महज 186 किलोमीटर दूर है।

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