Ajmer में मिलिए Twitter के नए CEO Parag Agarwal के पड़ोसियों से, कैसी जुड़ी हैं यादें, इन घरों में गुजरा बचपन

Published : Dec 01, 2021, 12:39 PM ISTUpdated : Dec 01, 2021, 12:41 PM IST

अजमेर। ट्विटर (Twitter) के को-फाउंडर जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने कंपनी के CEO पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह पराग अग्रवाल ( Parag Agarwal) कंपनी के नए CEO बनाए गए। वे अब तक कंपनी में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर के पद पर थे। उन्होंने 10 साल पहले ट्विटर जॉइन किया था। 37 साल के पराग ने इसे सम्मान की बात बताया है। भारतीय मूल के पराग का जन्म राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर (Ajmer) में हुआ है। उनके बचपन की कई यादें इस शहर से जुड़ी हैं। पराग के दादा-दादी सालों अजमेर में किराए के घर में रहे। आज पराग दुनिया की सबसे बड़ी सोशल साइट्स में एक ट्विटर के सीईओ बने तो अजमेरवासी फूले नहीं समां पा रहे हैं। AsianetNews ने इनसे बातचीत की है। आईए जानते हैं क्या कहते हैं अजमेरवासी... कैसे जुड़ी हैं उनकी पराग के परिवार के साथ यादें....

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Ajmer में मिलिए Twitter के नए CEO Parag Agarwal के पड़ोसियों से, कैसी जुड़ी हैं यादें, इन घरों में गुजरा बचपन

दादा थे मुनीम, अजमेर में किराए से रहता था परिवार
पड़ोसी बताते हैं कि पराग के पिता रामगोपाल अग्रवाल (RamGoptal Agrawal) मुंबई में बीएमआरसी (BMRC) में काम करते थे। लेकिन, तब उनके माता-पिता यानी पराग के दादा-दादी अजमेर के धानमंडी इलाके में किराए के मकान में रहते थे।
 

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दादाजी मुनीम का काम करते थे। उनके परिवार ने बहुत संघर्ष किया। पराग के पिता उनके दादा-दादी के साथ कई सालों तक किराए के मकान में रहे। रामगोपाल अग्रवाल की ऐसी स्थिति नहीं थी कि वे मुंबई के किसी प्राइवेट अस्पताल में पत्नी की डिलीवरी करवा पाएं। 

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पराग की डिलीवरी अजमेर के सरकारी अस्पताल में हुई
यही वजह रही कि अग्रवाल ने पत्नी शशि (Shashi Agrawal) को अपने माता-पिता के पास अजमेर भेजा और डिलीवरी के लिए जेएलएन अस्पताल में भर्ती करवाया। तब किसी को नहीं पता था कि सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाला ये बच्चा एक दिन दुनिया की सबसे बडी संस्थाओं में से एक ट्विटर का सीईओ बनेगा। 

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धानमंडी का मकान खाली पड़ा है...
गोयल बताते हैं कि पराग के दादा-दादी और माता पिता उनके मकान में उनके साथ रहा करते थे, लेकिन 1979 में उन्होंने यहां से मकान खाली कर दूसरे मकान में चले गए। वहां जाने के कुछ दिनों बाद पराग का जन्म हुआ और उनके जन्म के कुछ सालों बाद ही वह अजमेर से भी चले गए थे। धानमंडी वाला मकान काफी से खाली पड़ा है। 

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4 दिसंबर को माता-पिता का स्वागत किया जाएगा
पड़ोस में रहने वाली विजयलक्ष्मी कहती हैं कि वे पराग के दादा रामचंद्र को जानती थी और वे यहां कुछ सालों तक रहे। इसके बाद मुंबई शिफ्ट हो गए। अग्रवाल समाज के अध्यक्ष शैलेंद्र अग्रवाल और शिव कुमार बंसल ने बताया कि पराग के सीईओ बनने से अजमेर और देश का नाम रोशन हुआ और यह बडे़ गौरव की बात है। 

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पहले यहां खजाना गली और धानमंडी में किराए पर रहते थे। इसके बाद रामगोपाल और शशि की मुंबई में जॉब लग गई तो वहां रहने लगे। उनके माता-पिता 4 दिसंबर को अजमेर आएंगे और उनका स्वागत किया जाएगा। 

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यह रहा पराग का अब तक का सफर
पराग अग्रवाल ने आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बी टेक की पढ़ाई की और इसके बाद स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की। पराग अग्रवाल करीब 10 सालों से ट्विटर कंपनी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने एक विशेष सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में ट्विटर ज्वाइन किया था। 

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ट्विटर ने उन्हें 2018 में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बनाया था। ट्विटर से पहले पराग माइक्रोसॉफ्ट, याहू और एटीएंडटी लैब्स के साथ काम कर चुके हैं।

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