लाखों में होता है ऐसा बच्चा: पैदा होते ही डॉक्टर करने लगे रिसर्च, साइंस के लिए चुनौती..ये जिंदा कैसे


कोटा (राजस्थान). अक्सर बच्चों की मौत के लिए सुर्खियों में रहने वाला कोटा का जेके लोन अस्पताल एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। क्योंकि यहां एक ऐसे बच्चे ने जन्म लिया है, जिसका सच  जान यहां के क्या पूरे प्रदेश के डॉक्टर हैरान हैं। क्योंकि अब इस बच्चे की बीमारी का जिक्र ना सिर्फ चिकित्सकों के बीच हो रहा है, बल्कि यह एक  रिसर्च बन गया है। अभी तक आपने खून का रंग लाल सुनते और देखते आए हैं, लेकिन इस बच्चे के खून का रंग सफेद है। रेयर डिजीज की वजह से डॉक्टर्स कह रहे हैं कि आखिर यह बच्चा जिंदा कैसे है।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 3, 2021 7:30 AM IST / Updated: Feb 03 2021, 01:11 PM IST

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लाखों में होता है ऐसा बच्चा: पैदा होते ही डॉक्टर करने लगे रिसर्च, साइंस के लिए चुनौती..ये जिंदा कैसे

पूरे प्रदेश में ऐसा अब तक पहला मामला
दरअसल, कुछ दिन पहले जेके लोन अस्पताल में यह बच्ची इलाज के लिए आई हुई है। जो कि महज तीन महीने की उम्र का है, माता-पिता ने उसका नाम हिना रखा हुआ है। जब इस बच्ची की बीमारी के बारे में डॉक्टरों को पता चला तो वह शॉक्ड थे। कई का तो कहना था कि हमने पूरी जिंदगी में ऐसा बच्चा क्या कोई इंसान नहीं देखा जिसका खून लाल की जगह सफेद हो। वहीं सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि इस हॉस्पिटल में ऐसा यह पहला मामला देखने को मिला है।
 

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डॉक्टर बोले-विदेश की लेना होगी मदद
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.सुधीर का कहना है कि मेडिकल भाषा में इस बीमारी को डिसलिपेडेमिया विथ हीमोलाइटिक एनीमिया के नाम से जाना जाता है। करीब लाखों बच्चों में ऐसा मामला सामने आता है। हम इस दुलर्भ केस को अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल में प्रकाशित होने के लिए भेजेंगे। वहीं उनका कहना है कि इस बच्ची में  कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा भी ज्यादा पाई गई है।

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डॉक्टर्स कह रहे आखिर यह बच्चा जिंदा कैसे 
वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ. अशोक गुप्ता का कहना है कि बायोलॉजिकल साइंस की आम धारणा है कि इंसान के रक्त में लाल रक्त कणिकाओं के जरिए खून में ऑक्सीजन बहती है और यही किसी शख्स को जिंदा रखती हैं। लेकिन अगर किसी का  खून सफेद होता है तो यह धारणा अलग हो जाती है। यह डॉक्टर समाज के लिए चुनौती है कि इसे कैसे निपटा जाए। जो बच्ची मिली है उसमें  ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्राल की ज्यादा मात्रा मिलने से जान को खतरा है। जेके लोन यूनिट में बच्ची का इलाज किया जा रहा है।

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अब ये बच्चा अब न सिर्फ डॉक्टरों बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी खोज का विषय बन गया है। क्योंकि सवाल यह है कि क्या खून का रंग भी अलग हो सकता है। जाहिर है विज्ञान इसपर रिसर्च करेगा और ये भी पता चलेगा कि आखिर खून सफेद कैसे है। जेके लोन के अस्पताल के डॉक्टर इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए।

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कोटा का जेके लोन अस्पताल जिसमं यह अनोखा बच्चा इस वक्त भर्ती है।

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