एक कीड़े की वजह से लकवाग्रस्त हो गए विदेशी परिंदे, उड़ तक नहीं पाए, हजारों की मौत
जयपुर. यह खौफनाक मंजर दुनियाभर में प्रसिद्ध सांभर झील का है। यहां पिछले कुछ दिनों में 10 हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत ने पक्षी प्रेमियों को दिल पर 'आघात' किया है। मामला तूल पकड़ने पर सरकार भी मामले मामले को लेकर सक्रिय हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बैठक बुलाकर इस संबंध में उचित एक्शन लेने को कहा है। जांच में सामने आया है कि इन पक्षियों की मौत के पीछे एक मेगट्स कीड़ा है। इसके कारण पक्षी मरते गए। दलदल में दबे पड़े इन मरे हुए पक्षियों को दूसरे मांसाहारी पक्षियों ने खाया और वे भी मरते गए। इस कीड़े से पक्षियों में एवियन बोटुलिज्म (Avian Botulism) नामक बीमारी हो जाती है। यह एक प्रकार का लकवा है। इससे परिंदे उड़ नहीं पाए और वे झील में डूबकर मरते गए।
Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2019 7:38 AM IST / Updated: Nov 15 2019, 01:14 PM IST
लकवे के कारण उड़ नहीं सके परिंदे: बीकानेर के अपेक्स सेंटर के प्रो. एके कटारिया ने मीडिया को बताया कि एवियन बोटुलिज्म (Avian Botulism) नामक बीमारी की वजह मेगट्स(छोटे कीड़े) हैं। शुरुआत में कुछ पक्षी इनके खाने से मर गए। वे झील के दलदल में पड़े रहे। इन मरे हुए परिंदों में मेगट्स पनपते गए। जब इन मरे हुए परिंदों को दूसरे परिंदों ने खाया, तो उन्हें लकवा हो गया। इससे वे उड़ नहीं पाए और पानी में डूबकर मर गए। सांभर झील में मारे गए ज्यादातर परिंदे मांसाहारी हैं।
सरकार हुई गंभीर: हजारों की संख्या में परिंदों की मौत के बाद सरकार सक्रिय हुई है। गुरुवार रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक विशेष मीटिंग बुलाई। उन्होंने अफसरों से वस्तुस्थिति जानी। इसके साथ ही आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने पक्षियों को बचाने एक नया रेस्क्यू सेंटर खोलने को कहा है।
सरकार के आदेश पर झील के पास 14 टीमों का गठन कर एक सेंटर बनाया गया है। सालीम अली सेन्टर फॉर आर्निथोलोजी एण्ड नेचुरल हिस्ट्री, भारतीय वन्यजीव संस्थान और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के विशेषज्ञों ने झील किनारे डेरा डाल दिया है।
भोपाल से आई रिपोर्ट: राजस्थान राज्य पशुपालन विभाग की टीम ने पक्षियों के सैम्पल मप्र के भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग केन्द्र भेजे थे। इनमें एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट नेगेटिव है। यानी इससे स्पष्ट हो गया कि फ्लू के संक्रमण का खतरा नहीं है। हालांकि अभी विस्तृत रिपोर्ट आना बाकी है।
उल्लेखनीय है कि सांभर झील विश्व विख्यात है। यहां विभिन्न मौसम में 2 से 3 लाख देसी-विदेशी पक्षी आते हैं। मरने वाले पक्षियों में हिमालय, साइबेरिया, नॉर्थ एशिया समेत कई देशों से आने वाले प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं।
सांभर झील लवण जल यानी 'खारे पानी' की झील है। इसे देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील माना जाता है। इस झील से नमक बनाने 'साम्भर परियोजना' भी चलाई जाती है। सांभर झील समुद्र तल से करीब 1,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस बार अच्छी बारिश के चलते झील लबालब भरी हुई है। जब यह झील पूरी भरी होती है, तब इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील रहता है। सांभर झील में तीन नदियां आकर गिरती हैं।