ड्राइवर रहे इस शख्स की अंतिम यात्रा में IAS-IPS से लेकर मंत्री तक हुए शामिल, हर आंख से निकले आंसू...
बाडमेर (राजस्थान). कहते हैं एक अच्छे इंसान की पहचान उसके कर्मों से होती है। उसके मरने के बाद भी लोग उसको नहीं भूल पाते हैं। ऐसा दुखद पल उस समय देखने को मिला जब बाड़मेर के जाने-माने उद्योगपति तनसिंह चौहान की पार्थिव देह का बुधवार को अंतिम संस्कार किया गया। उनकी इस अंतिम यात्रा में आईएएस-आईपीएस और राजस्थान के तमाम पार्टियों के नेता शामिल हुए। उनकी आखिरी झलक देखने के लिए लोग दूर-दूर से आए थे। बता दें कि चौहान का मंगलवार को देहावसान हो गया था। कई दिनों से वह बीमार चल रहे थे।
Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2020 11:18 AM IST / Updated: Jan 30 2020, 05:17 PM IST
बुधवार सुबह तनसिंह चौहान के निवास बाड़मेर पर देह दर्शन के लिए करीब दो घंटे तक पुष्पांजलि अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा। सोशल मीडिया पर लोग उनकी अंतिम यात्रा का वीडियो शेयर करके लिख रहे हैं कि आज हमने समाजसेवी तनसिंह चौहान को अंतिम विदाई दी। हर कौम के अजीज हर किसी की आंखे नम हो गईं।
तनसिहं को उनके चाहने वाले फेसबुक पर नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कोई उनके फोटों को शेयर कर उनको नमन कर रहा है। तो कोई उनके जरिए किए कामों को याद करके। वहीं कुछ लोग कविता लिखकर उनको मिस कर रहे हैं। जैसे एक यूजर ने लिखा- पर-दुःख काटण परगला, मन-राजा तण-राज।। भलपण रा गाड़ा भरे,सुर-पुर चाल्यो आज।। जिस गाड़ी में जिन्दगी की शुरूआत की जीवन का अंतिम सफर भी उसी गाड़ी मे किया।
बता दें कि तनसिंह जिले के जाने माने ठेकेदार, उद्योगपति व समाजसेवी थे। उन्होंने आज से 40 साल पहले जिस ट्रक को खरीदा था उसी पर उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। तनसिंह ने ट्रक ड्राइवर बनकर अपने सफर की शुरुआत की थी। कुछ दिन पहले उनका हाल जानने के लिए राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया ने उनका हाल-चाल जानने के लिए पहंची थीं।
तनसिंह चौहान बाड़मेर जिले से 18 किलोमीटर दूर जूना गांव में जन्मे थे। ड्राइवरी से करियर शुरु करने वाले चौहान ने ठेकेदारी के काम शुरू किया था। उन्होंने धीरे-धीरे पूरे राजस्थान में अपने काम को फैला लिया। फिर भारत के हर राज्य में वह ठेकेदारी का काम करने लगे और इस तरह वह करोड़पति बिजनेसमैन बन गए।
राजस्थान के जाट नेता और बीजेपी के पूर्व सांसद कर्नल सोमराम चौधरी बताते हैं कि उनकी सरलता का हर कोई दीवाना था। जब कभी भी बाड़मेर का माहौल बिगड़ा तो सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन उनकी मदद लेते थे। चार दिन के अंदर कई IAS-IPS बड़े-बड़े नेता ने उनका हाल जाना था।
उनको जानने वाले बताते हैं कि सरकार किसी भी हो, लेकिन उनके पास सभी पार्टियों के मंत्री मुख्यमंत्री उनकी चौखट पर आते थे। उन्होंने कभी भी सक्रिय रूप से राजनीति में भाग नहीं लिया। वह हमेशा ही इससे दूरी बनाकर रखा। चौहान आम लोगों के बीच बैठते थे और उनका सुख-दुख बाटते थे।
तनसिंह गरीबों के लिए मसीहा थे। जब लोगों को कोर्ट-कचहरी में न्याय नहीं मिलता था तो वह इनके पास जाकर मदद मांगते थे। राजस्थान के कद्दवार नेता देवी सिंह भाटी का कहना है कि ऐसे लोग लाखों-करड़ों में एक होते हैं। उन्होंने हमेशा ही गरीबों के हक की लड़ाई लड़ी है। उनको कभी किसी भी बात का घमंड नहीं था। इसलिए आज उनकी अंतिम यात्रा में पूरा बाड़मेर उमड़ पड़ा।