अपनी किताब में आडवाणी ने लिखा है कि 'एक विषय जिसने पूरा राजनीतिक जीवन में मुझे चकित किया है, वह है भारतीय मतदाता चुनावों में अपनी पंसद का निर्धारण कैसे करते हैं? कई बार उनके रुझान का अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर नहीं। भारतीय मतदाताओं के विशाल विविधता के चलते सामान्यत चुनाव के परिणामों का पूर्वानुमान लगाना असंभव होता है। हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि मतदाताओं का सामूहिक व्यवहार किसी एक भावना संचालित होता दिखता है और इससे उनकी पसंद का अनुमान लगाया जा सकता है। औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त न करने के बावजूद एक अनुभवी राजनीतिक कार्यकर्ता अक्सर यह भविष्यवाणी कर सकता है कि चुनावी हवा किस ओर बह रही है।'