10 फोटो में देखिए मैदान में पहुंचे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण, बस कुछ घंटे बाद राम जी तीनों भाइयों को करेंगे खाक

ट्रेंडिंग डेस्क। आज दशहरे पर रावण और उसके दोनों भाइयों मेघनाद तथा कुंभकर्ण के दहन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। बस, कुछ ही घंटे बाद भगवान राम इन तीनों को भाइयों का वध करके बुराई के इन प्रतीकों को खत्म करेंगे। दिलचस्प ये है कि एक संगठन ऐसा भी है, जो रावण दहन का विरोध कर रहा है। संगठन के लोगों की मांग है कि जो लोग रावण दहन करने की तैयारी कर रहे हैं या करने वाले हैं, उनके खिलाफ अत्याचार का केस दर्ज किया जाए। बहरहाल, ऐसे लोग चर्चा में आने के लिए हर साल कोई न कोई हथकंडा अपनाते हैं। आइए तस्वीरों में देखते हैं रामलीला मैदान और दशहरा मैदान में पहुंचे रावण और उसके भाइयों के पुतले की झलक। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2022 7:05 AM IST

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10 फोटो में देखिए मैदान में पहुंचे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण, बस कुछ घंटे बाद राम जी तीनों भाइयों को करेंगे खाक

रावण दहन की प्रथा हजारों साल से चली आ रही है। यह बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक के तौर पर मनाते हैं। 

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रावण के पुतले का दहन हर साल दशहरे पर किया जाता है। देशभर में दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। 

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दशहरे को विजयदशमी का पर्व भी कहते हैं। इस दिन लोग शस्त्र पूजा भी करते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में रावण के पुतले का दहन किया जाता है। 

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वैसे रावण दहन के साथ ही आज नवरात्रि में शुरू हुई रामलीला का समापन भी हो जाएगा। यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। 

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रावण के पुतले का दहन दशहरे पर इसलिए किया जाता है, जिससे हम सभी खुद सत्य और धर्म के मार्ग पर चलें और अच्छे समाज की स्थापना करें। 

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नए परिवेश में लोगों को अच्छाई और सत्य के महत्व समझना होगा और गलत तथा बुराई से होने वाले नुकसान को भी जानना होगा। 

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विजयादशमी यानी दशहरा पर्व के दिन शमी पूजा भी होती है। शमी के पेड़ को दिया आरती दिखाकर उन्हें जल भी चढ़ाते हैं। 

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इसके साथ ही जब रावण के पुतले का दहन हो जाता है, तब मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है। 

 

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भक्तगण  मां दुर्गा की 9 दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं। लोग मेला घूमने जाते हैं और इसके बाद दशहरे के दिन मां को हंसी-खुशी विदा करते हैं। 

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देशभर में रावण दहन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लोग मेले घूमते हैं। मिठाइयां खाते हैं और बुराई के प्रतीक के खत्म होने का जश्न मनाते हैं। 

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