ब्लैक व्हाइट येलो के बाद ग्रीन फंगस का खतरा, कैसे तय होते हैं फंगस के रंग, क्या है इसके पीछे का विज्ञान?

Published : Jun 17, 2021, 03:15 PM ISTUpdated : Jun 17, 2021, 03:30 PM IST

कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस आया। अब एमपी के इंदौर में रहने वाले एक शख्स को ग्रीन फंगस होने की खबर है। डॉक्टर ने बताया कि 34 साल का व्यक्ति ग्रीन फंगस से संक्रमित पाया गया है। उसे इलाज के लिए एयर एंबुलेंस के जरिए मुंबई ले जाया गया है।  

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ब्लैक व्हाइट येलो के बाद ग्रीन फंगस का खतरा, कैसे तय होते हैं फंगस के रंग, क्या है इसके पीछे का विज्ञान?

भारत में पहला केस
भारत में ग्रीन फंगस का ये पहला केस है। मरीज के साइनस, फेफड़े और ब्लड में ग्रीन फंगस (एस्परगिलोसिस) का संक्रमण पाया गया। हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों से हरे, काले, सफेद और पीले रंग के फंगस की भी खबर मिली है।
 

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क्या है ग्रीन फंगस?
ग्रीन फंगस एस्परगिलोसिस है। ये एस्परगिलस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। ये कवक सामान्यतौर पर घर के अंदर और बाहर पाया जाता है। अधिकांश लोग तो बिना बीमार हुए प्रतिदिन एस्परगिलोसिस में सांस लेते हैं। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि म्यूकोर्मिकोसिस की पहचान रंग के बजाय उसके नाम से करना चाहिए।
 

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रंग से क्यों न करें फंगस की पहचान?
डॉक्टर गुलेरिया ने बताया, एक ही कवक को अलग-अलग रंगों के नाम से लेबल करने से भ्रम पैदा हो सकता है। म्यूकोर्मिकोसिस एक फैलने वाला रोग नहीं है। म्यूकोर्मिकोसिस से संक्रमित होने वाले लगभग 90-95 प्रतिशत रोगी या तो डायबिटिज या फिर स्टेरॉयड लेने वाले हैं। यह संक्रमण उन लोगों में बहुत कम देखा जाता है जो इन दोनों से बचे हैं।
 

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ग्रीन फंगस का नेचर क्या है?
डॉक्टरों के मुताबिक, कोविड-19 से ठीक हुए लोगों में ग्रीन फंगस के संक्रमण का नेचर अन्य रोगियों से अलग है या नहीं, अभी इसपर शोध की जरूरत है। हालांकि एक्सपर्ट्स एस्परगिलस फंगस के रंग कोडिंग पर भिन्न हैं। 
 

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एमजीएम के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉक्टर वीपी पांडे ने कहा, फंगल संक्रमण की कोई कलर कोडिंग नहीं होती है। ये सिर्फ एस्परगिलस फंगस और म्यूकोर्मिकोसिस है।
 

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ग्रीन फंगस क्यों कहा जाता है?
श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SAIMS) में रेसपेरेट्री विभाग के एचओडी डॉक्टर रवि दोसी ने कहा, ऐसा नहीं है कि शरीर में फंगस संक्रमण होने से उसका रंग भी दिखता है। इसका नाम ग्रीन फंगस इसलिए है क्योंकि लैब में टेस्टिंग के दौरान इसका कल्चर ऐसा दिखता है। 
 

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एमजीएम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉक्टर अनीता मुथा ने कहा, फंगस अपने कल्चर में रंग दिखाते हैं। काले, पीले, हरे और सफेद कवक हैं, लेकिन ये सभी म्यूकोर्मिकोसिस, सिंड्रेला और एस्परगिलस के सेंपल हैं।
 

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कौन सेंपल कैसा रंग देता है?
मुकोर्मिकोसिस काला रंग देता है। जबकि सिंड्रेला सफेद देता है। एस्परगिलस कई कैटेगरी में हरा और पीला रंग देता है।
 

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ग्रीन फंगस कितना घातक है?
कोविड से ठीक हुए रोगियों को किसी भी रंग के फंगस से घबराने की जरूरत नहीं है। इसके लिए पहले पता लगाए कि कौन सा फंगस है, उसके बाद उसका इलाज करने से ठीक हुआ जा सकता है। ग्रीन फंगस भी और के तरह से रिएक्ट करता है।

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