ट्रेंडिंग डेस्क। Independence Day 2022: इस साल भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। ऐसे में देशभर में विशेष आयोजन हो रहे हैं। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत कई कार्यक्रम और योजनाएं आयोजित की जा रही हैं। तिरंगा यात्रा निकाली जा रही। हर घर तिरंगा अभियान की तैयारी जोर-शोर से हो रही है। मगर क्या आप जानते हैं, जिस आजादी को हासिल करने के लिए करोड़ों देशवासियों ने अपने जान न्योछावर कर दिए। लंबी लड़ाई लड़ी गई, उसे ही मिलने की अगली सुबह महात्मा गांधी क्या कर रहे थे। वे किसी वजह से दुख में थे, मगर क्यों और वह कौन सी बात थी, जिसने उन्हें पीड़ा पहुंचाई। आखिर क्यों वे आजादी के जश्न में शरीक होने की जगह कोलकाता जाकर उपवास करने लगे। आइए तस्वीरों के जरिए जानते हैं, इससे जुड़े तथ्य।
15 अगस्त 1947 को देश घोषित तौर पर आजाद हो गया। हर तरफ खुशी का माहौल था, मगर बहुत से लोग ऐसे भी थे, जो बंटवारे का दंश झेलने को मजबूर थे।
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जवाहर लाल नेहरू को आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री चुना गया। उन्होंने लाल किले पर तिरंगा फहराया। मगर उनके साथ महात्मा गांधी नहीं थे। वह कोलकाता में थे।
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गोरों ने हिंदुस्तान को आजाद तो कर दिया, मगर दो हिस्सों में बांट गए। देश का बंटवारा होने और उसकी वजह से हिंसा भड़कने के कारण गांधी जी बेहद दुखी थे।
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देशभर में हिंदू-मुस्लिम हिंसा भड़क उठी थी। लोग एकदूसरे को मारकाट रहे थे। इससे दुखी होकर वे दिल्ली में रहने के बजाय बंगाल चले गए। कोलकाता में जाकर उन्होंने उपवास शुरू कर दिया।
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उन्हें मनाने की काफी कोशिश हुई। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने के लिए कोलकाता पहुंच गए, मगर उन्होंने किसी की नहीं सुनी और सबको लौटा दिया।
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दावा किया जाता है कि महात्मा गांधी को अंत तक नहीं पता चला था कि देश का बंटवारा हो रहा है। नेहरू जी ने उनसे यह बात आखिर समय तक छिपाकर रखी थी।
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कोलकाता पहुंचकर वे अपनी पुरानी दिनचर्या में लौट आए। सुबह उठकर चरखा कातते और लोगों से मुलाकात करते। इसके बाद कुछ पत्र जो उनके लिए आए होते, उन्हें पढ़ते और उनका जवाब लिखते।
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दावा यह भी किया जाता है कि गांधी जी सोचते थे कि इतने साल तक जो जंग लड़ी गई। अंग्रेजों से जो संघर्ष किया गया, वह सब व्यर्थ गया, क्योंकि देश को आजादी शर्तों पर मिली थी।
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इस शर्त में सबसे बड़ी बात थी, देश का बंटवारा किया जाना। हिंदुस्तान के दो टुकड़े होने से गांधी जी खुश नहीं थे। इससे भी बड़ी दुख की बात कि इस बंटवारे से लोगों में हिंसा भड़क गई थी।
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लोग जिनके साथ सुबह-शाम उठते-बैठते थे, अब उनकी ही जान के प्यासे हो गए थे। बहुत से लोगों को नहीं चाहते हुए भी देश छोड़कर जाना पड़ रहा था। उनकी संपत्ति, घर-बार सब छोड़ना पड़ा।