ट्रेंडिंग डेस्क। International Tigers Day 2022: बाघ यानी टाइगर करीब 50 साल से भारत का राष्ट्रीय पशु है। इससे पहले, वन्य जीव बोर्ड ने 1969 में शेर को देश का राष्ट्रीय पशु घोषित किया था। मगर बाद में 1972 में बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया गया। मगर वर्ष 2015 में एक बार फिर कयास लगने लगे कि केंद्र सरकार बाघ से यह दर्जा छीनकर वापस शेर को फिर से राष्ट्रीय पशु का दर्जा दे सकती है। हालांकि, तब बहुत से संगठनों ने इसका विरोध किया और सरकार से ऐसे किसी प्रस्ताव को तुरंत खारिज करने की मांग की थी। बहरहाल, आइए तस्वीरों के जरिए जानते हैं कि क्यों शेर की जगह बाघ को राष्ट्रीय पशु बनाया गया।
भारत में राष्ट्रीय पशु पहले शेर यानी लायन था, मगर 1972 में शेर की जगह रॉयल बंगाल टाइगर ने देश के राष्ट्रीय पशु का दर्जा हासिल कर लिया था।
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हालांकि, झारखंड से राज्यसभा सांसद परिमल नथवनी चाहते थे कि शेर को फिर राष्ट्रीय पशु बनाया जाए, इसके लिए 2015 में उन्होंने केंद्र सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा।
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परिमल नथवानी ने यह प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ को भेजा था, मगर यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया।
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विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व में एशियाई शेर जरूर भारत की खास पहचान रहे। अशोक स्तंभ पर भी शेर ही नजर आते हैं। तब शेर गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में फैले हुए थे।
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बाद में धीरे-धीरे इनके रहने के ठिकाने सिमटते गए। अब शेर सिर्फ गुजरात के गिरवन में ही पाए जाते हैं। दूसरे राज्यों में अगर मिलेंगे भी तो सिर्फ चिड़िया घर में।
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जबकि रॉयल बंगाल टाइगर आज दुनियाभर में अहम माने जा रहे हैं। कभी टाइगर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे, मगर संरक्षित श्रेणी में आने के बाद संख्या बढ़ी और अब ये 16 राज्य में मौजूद हैं।
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मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट के नाम से भी प्रचलित है। यह प्रयास करीब 50 साल पहले बाघ को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिए जाने के बाद शुरू हुआ और अब सफल है।
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विशेषज्ञों की मानें तो बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के प्रति उद्देश्य भी यही था कि इस बड़े जानवर को किसी भी हालत में बचाया जा सके।
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बिल्ली की 36 से अधिक प्रजाति होती है और टाइगर सबसे बड़ी बिल्ली मानी जाती है। बंगाल टाइगर का आकार देखें तो यह शेर से भी अधिक बड़े होते हैं।
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बंगाल टाइगर झुंड में नहीं रहते। ये अकेले ही रहना पसंद करते हैं। एक समय राजा-महाराजा शेर का शिकार करना अपनी शान समझते थे, मगर यह बात और दौर अब खत्म हो चुकी है।