Kushinagar International Airport Inauguration: जानिए यहां के कौन से पर्यटन स्थल हैं दुनियाभर में प्रसिद्ध

कुशीनगर शायद ही इस शहर के बारे में कोई जानता होगा। लेकिन आजकल ये एक ट्रेंडिंग शहर बन गया है। बने क्यों नहीं आखिरकार पीएम मोदी ने कुशीनगर के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्धाटन जो अपने हाथों से किया है। इसके बाद तो हर किसी की जुंबा पर बस इसी शहर का नाम है। लेकिन आपको अभी भी नहीं पता चला तो चलिए हम आपको बता देते हैं। दरअसल, ये शहर उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहरों में से एक है। जिसको भगवान राजा राम के पुत्र कुश ने बसाया था। तभी से इसका नाम कुशीनगर पड़ा। ये बौद्ध धर्म के लोगों का तीर्थस्थल है। कहा जाता है कि, गौतम बुद्ध ने अपनी अंतिम सांस यहीं ली थी। आज हम आपको कुशीनगर के उन पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे जिसको देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं, ताकि आप भी वहां जाए और घूमने का मजा उठाए।

Asianet News Hindi | Published : Oct 20, 2021 11:28 AM IST / Updated: Oct 20 2021, 05:18 PM IST

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Kushinagar International Airport Inauguration: जानिए यहां के कौन से पर्यटन स्थल हैं दुनियाभर में प्रसिद्ध

यह मंदिर खंडहरों के बीच स्थित है, जो बौद्ध धर्म का प्राचीन मठ भी माना जाता है। जिसकी स्थापना 5वीं शताब्दी के दौरान की गई थी। इसमें भगवान बुद्ध की 6.10 मीटर लंबी मूर्ति है, जो काफी प्रसिद्ध है। ये मर्ति लेटे हुए आकार में है। कहा जाता है कि, इस मूर्ति को 1876 में खुदाई के दौरान ढ़ूंढ़ा गया था।

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ये संग्रहालय बहुत पुरान संग्रहालय है, जहां मूर्तियां, मुहरों, सिक्के आदि संभाल कर रखे गए हैं। इसे 1992-93 के दौरान जनता के लिए खोला गया था, ताकि वो इस संग्रहालय में रखी चीजों के बारे में जानकारी हासिल कर सके।

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रामभर स्तूप वो जगह है जहां भगवान बुद्ध ने अंतिम ज्ञान प्राप्त किया था। ये करीबन 15 मीटर ऊंचा है इसके कारण ये कुशीनगर का आकषर्ण स्थानों में से एक है। इसके आसपास आपको हरियाली देखने को मिलेगी।

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इस विशाल निर्वाण स्तूप को ईंटों और रोड़ी से बनाया गया है। इसकी ऊचांई है 2.74 मीटर साथ ही जब इसका निर्माण किया गया तब वहां से एक तांबे का पात्र मिला। जिसमें अब महात्मा बुद्ध के अवशेष रखे गए हैं।

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वाटथई मंदिर जिसका निर्माण 1994 में बौद्धों द्वारा किया गया। इसका प्रांगण थाई-बौद्ध स्थापत्य शैली से बनाया गया है। 

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भगवान सूर्य को समर्पित ये मंदिर गुप्त कल के समय बनाया गया था। इसका उल्लेख आपको पुराणं में पढ़ने को मिल जाएगा। इस मंदिर में जो मूर्ति रखी हुई है माना जाता है कि वो खुदाई के दौरान मिली थी।

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