Published : Aug 23, 2021, 12:17 PM ISTUpdated : Aug 23, 2021, 12:21 PM IST
काबुल. तालिबान ने एक बार फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। इससे पहले 1996-2001 के बीच तालिबान का कब्जा था। तालिबान के राज में अफगानियों की जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है। पिछली बार तो ऐसा ही हुआ था। ऐसा नहीं है कि 2001 के बाद तालिबान ने हिंसा और क्रूरता बंद कर दी थी। अब दोबारा कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान में लोग डरे हुए हैं। देश छोड़कर भाग रहे हैं। लेकिन क्यों? ये जानने के लिए कुछ तस्वीरें देखिए और सोचिए कि आखिर कौन ऐसे देश में रहना चाहेगा? तालिबान को क्यों कहते हैं राक्षस...?
काबुल की रोड पर पड़ा तालिबान का शिकार एक व्यक्ति। जिसे गोली मार दी गई थी। ये उस वक्त साइकिल से कहीं जा रहा था। साइकिल सहित वह रोड पर ही गिर पड़ा। तस्वीर 1995 की है।
29
बगराम, अफगानिस्तान: तस्वीर 13 अगस्त 1998 की है। इससे अंदाजा लगाइए कि तालिबान के पास कितने और कैसे-कैसे हथियार हैं। यहां तालिबान लड़ाका काबुल से 50 किलोमीटर उत्तर में बगराम में सेना पर हमला करने के लिए अपने कमांडरों के कमांड का इंतजार कर रहा है। इस दौरान वह हथियारों और गोला-बारूद के साथ अपने बंकर में बैठा है।
39
एक अफगान स्कूली छात्रा अपनी बाहों पर घाव दिखाती हुई, जो 2 जुलाई 2019 को काबुल में तालिबान कार बम हमले में घायल हो गई थी। तालिबान ने 1 जुलाई को काबुल में एक कार बम विस्फोट किया था, जिसमें कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई थी।
49
अफगान नेशनल आर्मी (एएनए) के सैनिक के पिता गुलाम हुसैन। 21 साल के बेटे को तालिबान ने घातक हमले में मार दिया था। तस्वीर 24 फरवरी 2014 की है। हॉस्पिटल पहुंचने पर पिता रोने लगे थे।
59
1 नवंबर 1996 की तस्वीर। काबुल से 10 किलोमीटर उत्तर में खार खवाना चेकपॉइंट के पास बेल्ट से एक नागरिक की पिटाई करता हुआ तालिबानी।
69
तालिबान ने 27 जुलाई 2014 को कंधार के स्पिन बोल्डक में हमला किया। इसी दौरान तालिबानी मारे गए थे। स्थानीय लोग उन्हीं तालिबानी लड़ाकों के शवों को देखते हुए। हमलावरों ने एक स्कूल की इमारत को अपने कब्जे में ले लिया था। तब सेना ने एक्शन लिया और दो घंटे के बाद सभी छह हमलावरों को मार गिराया।
79
अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने 4 अगस्त 2020 को जलालाबाद में एक क्षतिग्रस्त घर के पास जब्त हथियारों का निरीक्षण किया। यहां तालिबान ने मोर्टार के गोले दागे थे।
89
नॉर्दर्न एलायंस लड़ाके 27 नवंबर 2001 को मजार-ए-शरीफ के पास एक किले में तालिबान से लड़ते हुए। इस एलायंस ने अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिकों की मदद की थी। इन्हीं की वजह से तालिबान को 2001 में हराया गया था।
99
तस्वीर 26 नवंबर 2001 की है। मजार-ए-शरीफ के पास तालिबान से लड़ने से पहले एक विस्फोट के दौरान एक बैरिकेड के पीछे छिप अमेरिकी सैनिक।