26/11 Attack: Ajmal Kasab को तो भारत में फांसी दे दी गई, लेकिन इस केस की पाकिस्तान में क्या स्थिति है?

Published : Nov 26, 2021, 05:03 PM ISTUpdated : Nov 26, 2021, 05:05 PM IST

नई दिल्ली (New Delhi). 26 नवंबर 2008 का दिन। ठीक 13 साल पहले। पाकिस्तान (Pakistan) से आए 10 आतंकियों ने मुंबई (Mumbai) में खून-खराबा शुरू किया था। 165 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। सुरक्षा एजेंसियों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और 9 आतंकी मारे गए। अजमल कसाब (Ajmal Kasab) नाम का आतंकी जिंदा पकड़ा गया। वह पाकिस्तान के फरीदकोट जिले का रहने वाला था। उससे 81 दिनों की पुलिस हिरासत में पूछताछ की गई। खुलासा हुआ कि कैसे पाकिस्तान में 26/11 के आतंकी हमले की प्लानिंग की। यह आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा की करतूत थी। Ajmal Kasab को फांसी दे दी गई, लेकिन इस केस की पाकिस्तान में क्या स्थिति है....?

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26/11 Attack: Ajmal Kasab को तो भारत में फांसी दे दी गई, लेकिन इस केस की पाकिस्तान में क्या स्थिति है?

साल 2009 में कसाब पर सुनवाई शुरू हुई 
फरवरी 2009 में भारत में एक कोर्ट में कसाब पर केस शुरू हुआ। कसाब पर 312 आरोप लगाए गए थे। मई 2010 में ट्रायल कोर्ट ने उसे 26/11 के मुंबई आतंकी हमले से जुड़े 80 अपराधों का दोषी पाया। कसाब को मौत की सजा दी गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा था। राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई गई। लेकिन वहां भी याचिका खारिज हो गई। 21 नवंबर 2012 को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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"रोबोट की तरह मेरा ब्रेनवॉश किया गया था"
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कसाब ने जांच अधिकारियों और कोर्ट को बताया था कि आप जीत गए। मैं हार गया। भगवान के नाम पर हिंसा करने के लिए रोबोट की तरह मेरा ब्रेनवॉश किया गया था। भारत के अलावा पाकिस्तान में 26/11 का मुकदमा शुरू हुआ। 

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पाकिस्तान के रावलपिंडी में मुकदमा शुरू हुआ, लेकिन मामला कभी भी किसी लॉजिकल डायरेक्शन में आगे नहीं बढ़ा। आरोप लगाया गया कि मुंबई हमले में हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी को हमले का मास्टरमाइंड माना गया। हाफिज सईद देश भर में अपनी फ्री व्हीलिंग गतिविधियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय चिंता व्यक्त करने के बावजूद पाकिस्तान में लंबे समय से कानून से बच रहा है। 

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2001 में दिल्ली में हुए संसद हमले और 2006 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में भी उनकी भूमिका सामने आई थी। जकी उर रहमान लखवी 26/11 के कुछ दिनों बाद ही अंतरराष्ट्रीय दबाव में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन कभी दोषी नहीं ठहराया गया। 2015 में जमानत मिल गई थी।

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पाकिस्तानी कोर्ट में खारिज हो गए भारत के सबूत
हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर साल 2018 में दबाव बढ़ गया। हाफिज सईद को बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बुक किया गया और 2020 में एक पाकिस्तानी कोर्ट ने दोषी ठहराया। 15 साल की सजा दी गई थी। लखवी को जनवरी 2021 में एक मेडिकल डिस्पेंसरी मामले में दोषी ठहराया गया था। 3 साल की जेल हुई। लेकिन किसी को भी मुंबई में हुए आतंकी हमले के लिए सजा नहीं मिली। 

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भारत ने जो डोजियर भेजा था उसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया। वहीं उनकी मांग थी कि 24 भारतीय गवाहों को पाकिस्तान की कोर्ट में पेश किया जाए। पाकिस्तान ने तर्क दिया है कि भारत के डोजियर उसके कोर्ट में कानूनी महत्व नहीं रखते हैं। ऐसे में भारत के सबूत को खारिज कर दिया गया। पाकिस्तान में 26/11 का मुकदमा ठप है। 20 सुरक्षाकर्मियों और 26 विदेशी नागरिकों सहित 160 से अधिक लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार दोनों मुख्य आरोपियों की मौत हो गई। हालांकि अमेरिका में डेविड कोलमैन हेडली को 35 साल जेल की सजा सुनाई गई।

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