यह परिवार नहीं महापरिवार है! 10 फोटो में देखिए कैसे एक छत के नीचे 180 से ज्यादा सदस्य मिलजुलकर रहते हैं

नई दिल्ली। World Family Day 2022: भारत में एक ऐसा परिवार है, जिसमें कुल 181 सदस्य हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी फैमिली है। आज वर्ल्ड फैमिली डे (World Family Day) पर हम इस परिवार को कुछ फोटो के जरिए करीब से जानेंगे। हालांकि, इस परिवार के मुखिया जिओन चाना अब दुनिया में नहीं  हैं। पिछले साल 76 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।  उनके निधन की पुष्टि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर दी थी। बहरहाल, जिओन का परिवार आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। आइए वर्ल्ड फैमिली डे पर उनके परिवार को 10 तस्वीरों के जरिए देखते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : May 14, 2022 2:50 PM IST / Updated: May 15 2022, 11:01 AM IST
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यह परिवार नहीं महापरिवार है! 10 फोटो में देखिए कैसे एक छत के नीचे 180  से ज्यादा सदस्य मिलजुलकर रहते हैं

जिओन चाना का परिवार मिजोरम के बकटावंग तलंगनुम गांव में रहता है। यहां इनका सौ कमरों वाला चार मंजिल का एक घर है, जिसमें पूरा परिवार हंसी-खुशी एकसाथ रहता आ रहा है। इस घर को भी लोग अपने आप में पूरा का पूरा एक गांव कहते हैं। 

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जिओन का पूरा नाम जिओंघाका चाना था। उनका जन्म 21 जुलाई 1945 को हुआ था। जब उनकी उम्र 17 वर्ष थी, तब उनकी शादी अपनी उम्र से 3 वर्ष बड़ी यानी 20 साल की युवती से हो गई थी। वह अपने परिवार के साथ-साथ गांव में धार्मिक समुदाय चाना के पंथ के मुखिया भी थे। 
 

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जिओना की सबसे बड़ी पत्नी अब घर की मुखिया का दायित्व निभाती हैं और कब, कौन सदस्य क्या करेगा, इसका बंटवारा करती हैं। वह सभी के कामकाज पर भी नजर रखती हैं। सभी उन्हें पूरा सम्मान देते हैं और उनकी बात मानते हैं। 

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इस घर के सभी सदस्य अपना-अपना अलग व्यवसाय करते हैं। पुरूष सदस्य बाहर का काम करते हैं, जबकि महिलाएं घर और खेती संभालती हैं। घर पर सभी लोग मिल-जुलकर खुशी से रहते हैं। खाते-पीते हैं, काम करते हैं। 
 

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जिओन हमेशा कहते थे कि उन्हें दुनिया में सबसे बड़े परिवार का मुखिया होने की खुशी है। इस परिवार में 181 लोग हैं। इसमें जिओन की 14 बहू और 33 पोते-पोती तथा प्रपौत्र शामिल हैं। वह परिवार को बेहद अनुशासन में रखते थे। 

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जिओना बढ़ई का काम करते थे। मगर खेती के लिए जमीन भी अच्छी खासी है। इस जमीन पर परिवार खेती करता है और भोजन के लिए पूरे वर्ष का प्रबंध करता है। इस परिवार को किचन काफी बड़ा है। खाना बनाने के लिए महिलाएं सुबह उठकर काम में जुट जाती हैं। 

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इस परिवार की चर्चा न सिर्फ भारत में बल्कि, विदेशों में भी है। दुनियाभर से पर्यटक यहां सिर्फ उनके परिवार से मिलने आते हैं। हालांकि, कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लोगों की आवाजाही लगभग न के बराबर रह गई है। मगर उम्मीद है हालात सुधरने पर फिर से यहां लोग आएंगे। 
 

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घर की महिलाएं खाना बनाती हैं। बड़े से कमरे में 50 टेबल कुर्सी पर खाना परोसा जाता है। बच्चे खुद मिलजुल खाना खाते हैं और बड़े लोगों की मदद करते हैं। बेटियां घर में दूसरे काम जैसे साफ-सफाई और बाजार का काम भी देखती हैं।

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इस परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग कमरों में रहते हैं। खाना सभी का एकसाथ बनता है और कोशिश रहती है कि साथ बैठकर ही खाया जाए। इस परिवार में राशन और अन्य जरूरतों का एक दिन का खर्च अन्य सामान्य परिवार के दो महीने के राशन के बराबर है। 

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इस परिवार का इलाके में काफी सम्मान है। चुनाव में काफी दबदबा भी रहता है। इस परिवार को हर रोज करीब 45 किलो चावल, 25 किलो दाल, 60 किलो सब्जियां, 40 मुर्गे, 50 अंडों की ज़रूरत होती है। साथ ही, 20 किलो फल की खपत भी रोज रहती है। 

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