Published : Oct 28, 2022, 11:10 AM ISTUpdated : Oct 28, 2022, 11:11 AM IST
उज्जैन. छठ पूजा (Chhath Puja 2022) श्रद्धा, विश्वास और संयम का पर्व है। इस व्रत के दौरान अनेक कठोर परंपराओं का पालन किया जाता है। 4 दिनों तक (28 से 31 अक्टूबर) चलने वाले इस पर्व में दान का भी विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, छठ पूजा के दौरान दान करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ये दान अगर राशि अनुसार हो तो ग्रहों से संबंधित शुभ फल भी हमें प्राप्त हो सकते हैं। जानिए राशि अनुसार, छठ पूजा के दौरान किन चीजों का दान करना चाहिए…
इस राशि का स्वामी मंगल है। मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है।
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इस राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। यही ग्रह जीवन में भौतिक सुख प्रदान करता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है।
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इस राशि के स्वामी बुध है। इसे ग्रहों का राजकुमार भी कहा जाता है। बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। कन्या इसकी उच्च और मीन नीच राशि है।
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इस राशि के स्वामी चंद्रमा हैं। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है।
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इस राशि के स्वामी स्वयं भगवान सूर्यदेव हैं। मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। ये ग्रह पिता और आत्मा का कारक है।
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इस राशि का स्वामी बुध ग्रह है। 27 नक्षत्रों में बुध को अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। ये ग्रह बुद्धि गणित, चतुरता और मित्र का कारक माना जाता है।
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इस राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। शुक्र भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामी है। शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।
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इस राशि का स्वामी मंगल है। मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। ये ग्रह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी है।
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इस राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। ये देवताओं के गुरु हैं। यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। कर्क इसकी उच्च और मकर नीच राशि है।
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इस राशि के स्वामी शनिदेव हैं। इन्हें न्यायाधीश कहा जाता है। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। तुला शनि की उच्च और मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है।
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इस राशि के स्वामी भी शनिदेव हैं। शनि एक राशि में ढाई साल तक रहता है, इस अवधि को ढय्या कहते हैं। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे साढ़ेसाती कहते हैं।
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इस राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। ये ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी भी हैं। गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई का कारक है।