कोरोना वरियर्स: लॉकडाउन में स्कूल हुए बंद, बच्चों को इकट्ठा कर अनोखा विद्यालय चलाने लगी ये 12वीं की छात्रा
प्रतापगढ़(Uttar Pradesh ) . लॉकडाउन में सभी स्कूल कालेज व अन्य प्रतिष्ठान बंद हैं। नौनिहालों का स्कूल बंद होने से पढ़ाई भी काफी प्रभावित हुई है। इन सब के बीच यूपी के प्रतापगढ़ में एक 12वीं की छात्रा ने अनोखा काम शुरू किया है। ये छात्रा अपने आसपास के तकरीबन 20 बच्चों को इकट्ठा कर उन्हें पढ़ा रही है। यही नहीं ये छात्रा इन बच्चों को कोरोना वायरस से बचाव के गुर भी सीखा रही है। साथ ही साफ सफाई सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी उन्हें बता रही है। छात्रा के इस कदम की हर कोई तारीफ कर रहा है।
प्रतापगढ़ के एंजिल्स इंटर कालेज में पढ़ने वाली छात्रा जागृति मिश्रा लॉकडाउन के पहले अपने ननिहाल लालगंज कोतवाली के खजूरी गांव आई हुई थीं। ननिहाल में रहने के दौरान ही लॉकडाउन हो गया। जिसके बाद जागृति को ननिहाल में ही रुकना पड़ा। जागृति के ननिहाल के के सामने ही एक बड़ी आम की बाग है। वहां दिन भर आसपास के बच्चे खेलते रहते थे।
बच्चों का स्कूल भी इस समय लॉकडाउन के कारण बंद है। इसके कारण वे बच्चे सुबह से लेकर शाम तक आम की बाग में खेलते दिखाई देते। इसको देखते हुए जागृति के मन में एक आइडिया आया। जागृति ने इस छुट्टी के दौरान उन बच्चों को पढ़ाने की सोची।
जागृति ने इसके लिए अपने मामा विजय मिश्र से बात की। उन्होंने जागृति को कहीं से एक ब्लैक बोर्ड उपलब्ध करवा दिया। बस फिर क्या था यहीं से शुरू हो गया जागृति का अनोखा स्कूल। जागृति ने खुद जाकर बच्चों के अभिवावकों से बात की। वह ही बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार हो गए।
जागृति ने 27 मार्च से अपने इस अनोखे स्कूल की शुरुआत की। उस समय इस स्कूल में सिर्फ दो बच्चे आते थे। लेकिन अब ये संख्या बढ़ गयी है। इस समय बच्चों की संख्या 20 हो गई है। इन सभी बच्चों की डेली दो घंटे की क्लास चलती है।
जागृति ने इस विद्यालय सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन किया है। वह उसी आम की बाग़ जहां बच्चे खेलते थे वहीं पर उन्हें पढ़ाने का काम शुरू किया है। वह बच्चों को दूर-दूर बैठाती हैं। ताकि सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रहे।
जागृति का कहना है कि दूर-दूर बैठाने पर बच्चे सवाल भी करते हैं तो उन्हें कोरोना वायरस और सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बताती हूं। इन्हे सेनेटाइजर भी देती हूं। इन बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग व कोरोना वायरस से बचाव के लिए बताई गयी बातों को घर में घर में भी जाकर बताने के लिए कहा जाता है और फिर इसका क्रॉस चेक करती हूं।
जागृति का कहना है कि अब इस काम में उनका मन लगा गया है। उनका समय भी आसानी से कट जा रहा है और इन बच्चों को बच्चों को लॉकडाउन में शिक्षा भी मिल रही है। जागृति का कहना है कि अगर लॉकडाउन आगे बढ़ाया गया तो ये सिलसिला यूं ही जारी रहेगा।