उत्तराखंड तबाही में बह गए UP के 15 मजदूर, एक कॉल से मचा कई गांवों में कोहराम..पढ़िए परिवार की आपबीती

लखीमपुर खीरी (Uttar Pradesh) । उत्तराखंड के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से आई भीषण तबाही में सैकड़ों लोगों के लापता होने की खबर है। इनमें लखीमपुर खीरी जिले के 15 मजदूर भी शामिल हैं। वहीं, त्रासदी की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस समय तबाही आई उस वक्त तपोवन के पॉवर प्रोजेक्ट में काम कर रहे कई मजदूर टनल में फंस गए। इनमें निघासन तहसील क्षेत्र के गांव बाबू पुरवा, भेरमपुर, मांझा व कड़िया के 15 युवक भी शामिल हैं, जो पावर प्रोजेक्ट में काम करने के लिए गए थे। हादसे के बाद से परिजनों का उनसे कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2021 5:58 AM IST / Updated: Feb 08 2021, 11:37 AM IST

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उत्तराखंड तबाही में बह गए UP के 15 मजदूर, एक कॉल से मचा कई गांवों में कोहराम..पढ़िए परिवार की आपबीती

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक त्रासदी के में बचे एक मजदूर ने यह जानकारी अपने घरवालों को दी है, जिसके परिवार से जुड़े लोगों के मुताबिक उसने कहा है कि वह तो बच गया, लेकिन उसके साथ काम करे रहे 15 साथी या तो सैलाब में बह गए या फिर टनल में फंसे हैं।
 

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बताते चलें कि निघासन तहसील क्षेत्र के इंडो नेपाल बॉर्डर पर स्थित गांव बाबू पुरवा, भेरमपुर, मांझा और गांव कड़िया हैं। बाबूपुरवा गांव के पांच युवक हीरालाल, सूरज, अर्जुन, विमलेश, धर्मेंद और अरुण अभी तक लापता हैं, जिनकी कोई सूचना नहीं मिल पाई हैं। 

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इसके इलावा 10 युवक भेरमपुर व मांझा गांव के भी हैं। वहीं, इसकी सूचना जैसे ही लापता मजदूरों के परिजनों को हुई तो उन्होंने फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई। यह सूचना मिलते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। पूरे गांव में मातम छाया हुआ हैं।

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बता दें कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद अलकनंदा उफान पर है। उत्तराखंड में जिला प्रशासन ने नदी किनारे सभी लोगों को अलर्ट कर दिया है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। मौके पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ भी तैनात कर दी गई है।
 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टिहरी में भी प्रशासन ने कीर्तिनगर, देवप्रयाग में नदी किनारे अलर्ट जारी किया है। देवप्रयाग संगम पर भी लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई है। वहीं, नदी किनारे जितनी भी बस्तियां हैं सभी में लोगों को ऊंचाई वाले इलाकों में जाने के लिए कहा गया है। खनन पट्टों पर कार्य कर रहे लोगों को भी हटाया जा रहा है।

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