19 साल बाद फिर से खुलेगी विकास दुबे के गुनाहों की फाइल, थाने में हुई मंत्री की हत्या की होगी दोबारा जांच

कानपुर(Uttar Pradesh). 19 साल पहले कानपुर के शिवली थाने में हुई राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड की नए सिरे से जांच होगी। कानपुर शूटआउट की जांच के लिए गठित एसआईटी ने रविवार रात ये संकेत दिए हैं। एसआईटी ने संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला को यकीन दिलाया है कि, राज्यमंत्री की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे तो अपने अंजाम तक पहुंच चुका है। लेकिन उसके दोषी साथियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी। एसआईटी में मनोज शुक्ला को लखनऊ बुलाया गया है। माना जा रहा है कि राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या के मामले में एसआईटी उनके भाई से अहम जानकारी लेगी। बता दें कि गैंगस्टर विकास दुबे को 8 पुलिसकर्मियों के बाद पुलिस मुठभेड़ में बीते 10 जुलाई को एनकाउंटर में ढेर किया जा चुका है। कुछ लोगों ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताया था जिसके बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है।  

Asianet News Hindi | Published : Jul 13, 2020 5:51 AM IST

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19 साल बाद फिर से खुलेगी विकास दुबे के गुनाहों की फाइल, थाने में हुई मंत्री की हत्या की होगी दोबारा जांच

कानपुर शूटआउट की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है। जिसमें एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे रवींद्र गौड़ सदस्य हैं। तीनों अफसर रविवार को बिकरु गांव पहुंचे थे। इसके बाद शिवली थाने से राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड की फाइलों से निकलवाया गया था। यही नहीं अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की थी। 

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(मनोज शुक्ला को पूछताछ के लिए बुलाया गया लखनऊ)

एसआईटी टीम के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने फाइल देखकर आश्चर्य जताया कि, थाने के भीतर राज्यमंत्री की हत्या हुई, फिर भी विकास दुबे को सजा नहीं मिली? उन्होंने बताया कि, टीम इस केस के हर पहलू की जांच करेगी। टीम ने राज्यमंत्री के भाई मनोज शुक्ला से पूछताछ की। 
 

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मनोज शुक्ला ने ने एसआईटी टीम को बताया कि कुछ गवाहों के पलट जाने से विकास और उसके साथी बरी हो गए थे। दोबारा अपील हो और साक्ष्य पेश किए जाएं तो उस केस में सजा हो सकती है। उन्होंने बताया कि एसआईटी ने भरोसा दिलाया है कि वह मामले को शासन स्तर पर अवगत कराएंगे।
 

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गैंगस्टर विकास दुबे ने साल 2000 में शिवली के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी। इसमें उसे उम्रकैद हुई। लेकिन उसे ऊपरी अदालत से जमानत मिल गई थी। इसके बाद उसने 2001 में शिवली थाने के अंदर घुस कर उसने श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमेन रहे और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ल की गोली मारकर हत्या कर दी। दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड में किसी ने विकास के खिलाफ गवाही ही नहीं दी जिसके बाद विकास बरी हो गया। 

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इसके अलावा 2004 में केबल कारोबारी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी था। जेल से ही उसने शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीत लिया था। विकास दुबे की गिरफ्तारी पर 5 लाख का इनाम भी था। दुबे पर 60 आपराधिक मामले दर्ज थे।

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