गोलियों से भूनकर हुआ था इस 22 साल की प्रेग्नेंट लड़की का मर्डर, डीएनए टेस्ट ने खोला था राज
गोरखपुर (Uttar Pradesh). मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी को सोमवार को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से एम्स या किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) रेफर कर दिया गया। अमरमणि का लंबे समय से मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में इलाज चल रहा था। जानकारी के मुताबिक, सजा पाने के बाद से अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि इलाज के बहाने अस्पताल में भर्ती हैं। आज हम आपको मधुमिता हत्याकांड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी।
यूपी के लखीमपुर खीरी के छोटे से कस्बे की रहने वाली मधुमिता 16 साल की उम्र से ही वीर रस की कविताओं का मंच पर पाठ करने लगी थी। अपनी कविताओं में देश के पीएम तक को खरी-खोटी सुनाने वाली इस युवा कवयित्री का यही लोगों को अच्छा लगता था। बाद में वो लखनऊ आ गई।
9 मई 2003 का दिन था। लखनऊ में पेपर मिल कालोनी में स्थित मधुमिता के घर के बाहर फायरिंग की आवाज आती है। घर में मौजूद नौकर देशराज शोर मचाते हुए बाहर भागता है। लेकिन तब तक शूटर बाइक पर सवार फरार हो जाते हैं। सूचना पर पहुंची पुलिस को कमरे में बेड पर मधुमिता की गोलियों से छलनी खून से लतपथ लाश मिलती है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज पुलिस मामले की जांच शुरू करती है।
कुछ दिनों बाद आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा होता है कि मधुमिता 7 महीने की प्रेग्नेंट थी। जिसके बाद डीएनए टेस्ट करवाया जाता है। रिपोर्ट में पता चलता है कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा उस समय के कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का था। यही नहीं, जांच के दौरान मधुमिता के कमरे से महंगे तोहफे, हवाई जहाज के टिकट भी पुलिस के हाथ लगते हैं।
डीएनए टेस्ट रिपोर्ट और महंगे गिफ्ट से आशंका थी कि अमरमणि मधुमिता को अपनी अय्याशी के लिए इस्तेमाल करता था। शक के आधार पर जांच शुरू होती है और धीरे धीरे मामले से पर्दा उठने लगता है। पता चलता है कि 44 साल के अमरमणि (वर्तमान में 61 साल) का 22 साल की मधुमिता से प्रेम संबंध थे। यही नहीं, मंत्री ने अपनी प्रेमिका को फ्लैट और लाल बत्ती तक दे रखी थी।
प्रेम संबंध के दौरान 2 बार मधुमिता प्रेग्नेंट होती है, लेकिन अमरमणि उसका अबार्शन करा देता है। लेकिन तीसरी बार प्रेग्नेंट होने पर कवित्री अबार्शन के लिए तैयार नहीं होती। इस बीच इस प्रेम संबंध की जानकारी मंत्री की पत्नी मधुमणि को भी हो जाती है।
इसके बाद अमरमणि प्रेमिका को रास्ते से हटाने की साजिश रचता है और गोरखपुर से 2 शूटर संतोष और प्रकाश को लखनऊ भेज मधुमिता की हत्या करवा देता है। जांच के दौरान केस को लीड कर रहे आईपीएस महेंद्र लालका को अमरमणि की पत्नी मधुमणि पर शक होता है। उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाती है। जिसके बाद मामले का खुलासा होता है।
2003 में सीबीआई ने अमरमणि को गिरफ्तार किया था। जुर्म साबित होने के बाद मंत्री और उसकी मंत्री को अक्टूबर 2007 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।