बेगुनाह होकर भी पति-पत्नी ने जेल में काटे 5 साल सजा, घर पहुंचने से पहले लुट गई दुनिया,फूट-फूट कर रो रहे दोनों

Published : Jan 24, 2021, 07:24 PM ISTUpdated : Jan 24, 2021, 07:28 PM IST

आगरा (Uttar Pradesh) । बेगुनाह होने के बाद भी पति-पत्नी को पांच साल चार माह तक जेल में सजा काटनी पड़ी। जेल से छूटने के बाद घर पहुंचे दंपती की दुनिया ही उजड गई। दरअसल, उनके दो बच्चे लापता हैं। जिन्हें अब वो ढूंढ रहे हैं। वहीं, अपर जिला जज ने एसएसपी को पत्र लिखकर विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। निर्दोषों को पांच साल तक जेल में रखने पर उन्हें बतौर प्रतिकर मुआवजा दिलाने का नोटिस भी जारी किया है। बताया जा रहा है कि विवेचक अलीगढ़ क्राइम ब्रांच प्रभारी ब्रह्म सिंह थे, जो अब वे रिटायर हो चुके हैं। आइये जानते हैं पूरी कहानी।

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बेगुनाह होकर भी पति-पत्नी ने जेल में काटे 5 साल सजा, घर पहुंचने से पहले लुट गई दुनिया,फूट-फूट कर रो रहे दोनों

बात एक सितंबर, 2015 की है। जब बाह क्षेत्र के जरार निवासी योगेंद्र सिंह का पांच साल का बेटा रंजीत सिंह उर्फ चुन्ना शाम करीब साढ़े पांच बजे घर से अपनी मां श्वेता से अंबरीश गुप्ता की दुकान पर जाने की कहकर गया था। जिसका अगले दिन उसका शव मिला। 

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पिता ने आरोप लगाया था कि बेटे की हत्या मोहल्ला मस्जिद निवासी नरेंद्र सिंह और उसकी पत्नी नजमा ने की है। तब, पुलिस के मुताबिक उनसे काफी दिन पहले झगड़ा हुआ था। दोनों ने धमकी दी थी। घटना से एक दिन पहले नजमा की गोदी में बेटे को बैठा हुआ देखा था। वह नमकीन खा रहा था। दोनों ने रंजिश में चाकुओं से गोदकर उसको मार डाला। इसी केस में पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया था।
 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नजमा और नरेंद्र पहले ही दिन से खुद को बेगुनाह बता रहे थे। जिसे साबित करने में 5 साल 4 माह लग गए। जेल से रिहा हुए दंपती का कहना है कि उनसे कभी योगेंद्र का विवाद नहीं हुआ था। उन्होंने हम लोगों को गलत फंसा दिया। लेकिन, न्याय पालिका ने निर्दोष साबित कर दिया। 
 

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5 साल पहले नजमा और उसके पति नरेंद्र को जेल भेजा था, उस वक्त नजमा की एक तीन साल की बेटी और 5 साल का बेटा था, जो अब 5 साल बाद कहां है उन्हें नहीं पता? दोनों का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच पड़ताल हो और पुलिस पर तो कार्रवाई होनी ही चाहिए, लेकिन असली हत्यारे भी सामने आने चाहिए तभी वे दोनों अपने गांव वापस जा सकेंगे।
 

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बता दें कि नरेंद्र गांव में ही सब्जी की दुकान चलाते थे। उसी धर्मशाला में एक स्कूल था। उसी स्कूल में 5वीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाते थे। लेकिन, अब सारे काम बंद हो गए हैं। उनके सामने जेल से रिहा होने के बाद रोजी रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। नरेंद्र और नजमा अब अपनी पथराई आंखों से अपने जिगर के टुकड़े बच्चो को तलाश रही हैं।
 

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