Published : Apr 27, 2021, 11:16 AM ISTUpdated : Apr 27, 2021, 11:30 AM IST
कानपुर (Uttar Pradesh) । डीएम आलोक तिवारी अपनी कार्रवाई से चर्चा में आ गए हैं। रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) की गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी न दे पाने पर डॉक्टर नीरज सचान पर भड़क गए। इतना ही नहीं, जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन न कर पाने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार करवा दिया। वहीं, इसकी खबर होने पर कानपुर के सरकारी डॉक्टरों में आक्रोश फैल गया।
डॉक्टर नीरज सचान, पतारा सीएचसी हॉस्पिटल के इंचार्ज थे। दो दिन पहले ही उनको कोरोना रैपिड रेस्पोंस टीम का इंचार्ज बनाया गया था। वहीं, रविवार को छुट्टी थी, सोमवार को डीएम ने कोरोना कंट्रोल की मीटिंग की थी, जिसमें डॉक्टर नीरज शामिल हुए थे।
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डीएम आलोक तिवारी ने उनसे कोरोना संबंधी जांच और रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) की गतिविधियों के बारे में पूछा। इस पर उन्होंने एक तिहाई काम होने की जानकारी दी। यह सुनकर डीएम भड़क गए। उन्होंने पहले डॉ. नीरज को फटकार लगाई, फिर साथी अफसरों से तत्काल उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए।
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रात में ही डीएम के निर्देश पर स्वरूप नगर थाने में डॉक्टर नीरज सचान के खिलाफ महामारी एक्ट में एफआईआर दर्ज करके उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही शहर के दर्जनों सरकारी डॉक्टर स्वरूप नगर थाने पहुंच कर इस कार्रवाई का विरोध करने लगे।
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डॉ. नीरज सचान की पत्नी डॉ. अनु सचान ने स्वरूपनगर थाने में तहरीर देकर पति को छोड़ने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सीएमओ ने उन्हें अधीक्षक पद के अलावा आरआरटी के नोडल का अतिरिक्त चार्ज दे दिया था। वर्तमान में केसों की संख्या बढ़ गई है पर आरआरटी की संख्या पिछले साल की तरह 40 ही है। डॉ. नीरज ने दो दिन पहले ही चार्ज संभाला है। ऐसे में राजपत्रित अधिकारी को थाने में बैठाना न्यायसंगत नहीं है। उन्हें घर जाने दिया जाए।