Published : Jan 09, 2020, 01:49 PM ISTUpdated : Jan 09, 2020, 02:01 PM IST
लखनऊ (Uttar Pradesh). एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक 10 जनवरी को रिलीज होनी है। फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी की जिंदगी पर बेस्ड है। इसी को लेकर बीते दिनों दीपिका ने अपना 34वां जन्मदिन लखनऊ स्थित शिरोज हैंगआउट कैफे में एसिड सर्वाइवर्स के साथ मनाया। बता दें, इस कैफे में एसिड सर्वाइवर्स को रोजगार देकर जीने का एक जरिया दिया जाता है। आज हम अपको इस कैफे में काम करने वाली एक सर्वाइवर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो लोकल और भोजपुरी फिल्मों में भी काम कर चुकी है।
23 साल की रूपाली शिरोज कैफे में काम करती हैं। अपने बारे में बताते हुए वो कहती हैं, 2013 में मैंने एक सिंगिंग कॉम्पटीशन में पार्टिसिपेट किया था। उसी दौरान मेरी मुलाकात अजय पुजारी से हुई, वो फिल्म और एल्बम प्रोड्यूस करता था। कुछ समय में ही वो मुझे पसंद करने लगा, हालांकि मेरी उसके प्रति ऐसी कोई भावना नहीं थी। एक दिन उसने धमकी देते हुए कहा, तुम्हे अपने चेहरे पर बहुत घमंड है। ऐसा हाल करूंगा कि अपना चेहरा किसी को दिखाने लायक नहीं बचोगी। उस समय मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
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रूपाली कहती हैं, 28 जुलाई 2015 को मैं एक भोजपूरी फिल्म की शूटिंग खत्म कर अपने रूम में सो रही थी। मेरे खाने में पहले से ही नींद की दवा मिला दी गई थी। अजय उस रात करीब 2 बजे मेरे कमरे में आया और मेरे ऊपर एसिड से हमला कर दिया। मुझे तेज जलन होने लगी, मैं फर्श पर बैठ जोर से चीख रही थी। मौके पर मौजूद मेरे दोस्तों ने कहा, मैं रोने का नाटक कर रही हूं या किसी भूत-प्रेत ने मुझे पकड़ लिया। सभी मजाक उड़ा रहे थे, कोई मेरे पास नहीं आ रहा था। जब मेरा चेहरा खराब होने लगा तो दोस्तों ने मेरे ऊपर 2 बाल्टी पानी डाल दिया, लेकिन तब तक मेरी बॉडी झुलस चुकी थी।
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रुपाली की शादी हो चुकी हैं। उनके हसबैंड कुलदीप कहते हैं, 4 सिंतबर 2016 को मैं लखनऊ के शीरोज हैंगआउट में नौकरी के लिए आया था। उस दौरान मेरी मुलाकात रुपाली से हुई और हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गई। जब मैंने रुपाली के दास्तां सुनी, तो उससे शादी करने का फैसला कर लिया। इसके बाद हमने गाजीपुर में कोर्ट मैरिज कर ली। बता दें, साल 2018 में रूपाली ने एक बेटी को जन्म दिया।
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वो कहती हैं, मैंने दोस्तों को बताया था कि मेरे खाने में नींद की दवा मिला दी गई थी, मैं हल्के नशे में थी। लेकिन मैंने अजय को रूम की लाइट ऑफ करते देखा था। लेकिन दोस्त अजय को दोषी मानने को तैयार नहीं थे। सबसे तकलीफ तो तब हुई जब मैं अस्पताल में भर्ती थी और मेरे शराबी पिता ने डॉक्टर के आगे गिडगिड़ाते हुए कहा था, इसे जहर देकर खत्म कर दीजिए। घर लेकर गया तो बड़ी बदनामी होगी। इस पर डॉक्टर ने उन्हें बहुत डांटा था। जिसके बाद वो कभी मुझे देखने नहीं आए। एक साल इलाज के बाद जब मैं घर जाने लगी, तो पिता ने घर आने से मना कर दिया। उसके बाद से मैं कभी घर नहीं गई और लखनऊ स्थित शिरोज हैंगआउट चली आई।
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रूपाली कहती हैं, ठीक होने के बाद मैंने अजय के खिलाफ केस किया। लेकिन जेल के अंदर से वो मुझे फोन कर केस वापस लेने की धमकी देता था। कोर्ट में बताया गया कि मेरे ऊपर एसिड से कोई हमला नहीं हुआ। मैं लालटेन से जल गई थी। आखिरकार कोर्ट ने सबूत के अभाव में अजय को जेल से रिहा कर दिया।
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शिरोज हैंगआउट कैफे में एसिड सर्वाइवर्स को रोजगार देकर जीने का एक जरिया दिया जाता है।