रोज रोटी के बदले गिरवी रखना पड़ता है जिस्म, इन मासूम बच्चियों की कहानी सुनकर किसी को भी आएगा रोना

चित्रकूट(Uttar Pradesh). कहते हैं गरीबी और लाचारी एक ऐसा अभिशाप है जो इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देता है। पेट की भूख मिटाने को पढ़ने-लिखने की उम्र में मजदूरी कर रही हैं। लेकिन इन सबके बीच इन हैवान उन्हें काम देने के बदले में उनके जिस्म से भी खेल रहे हैं। जी हां ये मामला यूपी के चित्रकूट से सामने आया है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पहाड़ों पर पत्थर तोड़ने के लिए लगाए गए क्रशर में कम करने वाली कम उम्र की लड़कियों के जिस्म के साथ खेला जा रहा है। यहां काम पाने के बदले उन्हें रोजा अपना जिस्म ठेकेदारों व उनके गुर्गों को सौंपना होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी व दो वक्त पेट भरने की गरज से वह न चाहते हुए भी इस काम कर रही हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 8, 2020 12:29 PM IST
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रोज रोटी के बदले गिरवी रखना पड़ता है जिस्म, इन मासूम बच्चियों की कहानी सुनकर किसी को भी आएगा रोना

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की खदानों में कम उम्र की लड़कियों के साथ शारीरिक शोषण हो रहा है। चित्रकूट के डफई गांव में रहने वाली एक नाबालिग लड़की बताती है कि खदान पर जाकर काम मांगते हैं तो वहां लोग कहते हैं शरीर दो तभी काम मिलेगा। हमारी मजबूरी है। उनकी बात मानकर फिर काम पर लगते हैं।
 

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यहां काम करने वाली लड़कियों का कहना है कि कई बार काम के पूरे पैसे भी नहीं मिलते। खदान के क्रशर पर काम करने वाले लोग कहते हैं तुमको काम पर नहीं रखेंगे। अब बताइए ऐसे में क्या खाएंगे। इसलिए हम जाते हैं और उनकी बात माननी पड़ती है।
 

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ये लड़कियां खदानों से पत्थर उठाने का काम करती हैं। पढ़ाई लिखाई की उम्र में ये परिवार को पालने का बोझ अपने कंधों पर उठा रही हैं। मेहनताने के लिए अपने तन का सौदा करना पड़ता है। कुछ बोली तो फिर पहाड़ से फेंक देने की धमकी मिलती है। जो शारीरिक शोषण करता है वह कभी अपना नाम नहीं बताता। कहता है ऐसे शरीर दोगी तभी काम पर लगाएंगे।
 

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मां-पिता भी अपनी बेटियों के इस दर्द का जहर चुपचाप पी लेते हैं। क्योंकि पेट की आग के आगे कुछ नहीं कर पाते। मजबूरी है पेट तो चलाना है. 300-400 दिहाड़ी है। कभी 200 कभी 150 देते हैं। बेटियां काम करके आने के बाद बताती हैं कि आज उनके साथ ऐसा हुआ लेकिन हम कुछ नहीं कर पाते।

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एक ने बताया कि ठेकेदार कहता है कि जो पैसे तुमको दिए हैं उससे मेकअप करके आओ। 100 रुपए में क्या होता है। लॉकडाउन में हालत और खराब हो गई थी। परिवार पालने के लिए रोजाना दो-तीन सौ रुपये कमाने पड़ते हैं, और इसके लिए इसे अपना जिस्म दरिंदों के आगे परोसना पड़ता है।
 

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पीड़िता के मुताबिक पहाड़ के दूसरी ओर बिस्तर लगा होता है, वहां हर रोज कईयों के जिस्म को रौंदा जाता है। सबकी बारी आती है। अगर किसी ने न नुकुर की तो उसका काम छीन लिया जाता है उसे पैसे भी नहीं मिलते हैं। और तो और मुह खोलने पर जान से मारने की धमकी दी जाती है। हांलाकि मामला सामने आने के बाद इसमें डीएम चित्रकूट की ओर से जांच के आदेश दिए गए हैं।अधिकारियों का कहना है कि आरोप लगाने वाली लड़कियों के बयान लिए जाएंगे, इसके बाद दोषी चाहे जो भी हों सबके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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