कोरोना ने छीन ली मां की ममता, उसे लगता है बदल गई मम्मी, अब नहीं करतीं मुझे प्यार

लखनऊ (Uttar Pradesh)। कोरोना का खौफ लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। लॉकडाउन का पालन कराने वाले भी डर रहे हैं। पुलिस की वर्दी में कोरोना फाइटर्स बनीं महिला अधिकारी-कर्मचारियों ने भी अपने ही बच्चों से मजबूरी में दूरी बना ली हैं। हालांकि ये दूर से ही अपने जिगर के टुकड़ों को देखकर संतोष कर लेती हैं, जबकि इनके बच्चों को लगता है कि मम्मी बदल गई हैं। कुछ ऐसी ही कहानी ड्यूटी में लगी 5 महिला पुलिस अधिकारियों की हैं, जो अपनी ममता को ही इस समय ‘लॉकडाउन’ कर दी है। जिसे पढ़ने के बाद आप भी सोचने को विवश हो जाएंगे।

Ankur Shukla | Published : Apr 11, 2020 1:19 AM IST / Updated: Apr 11 2020, 09:09 AM IST
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कोरोना ने छीन ली मां की ममता, उसे लगता है बदल गई मम्मी, अब नहीं करतीं मुझे प्यार
डीसीपी शालिनी का बेटा चार साल का है। वो कहती हैं कि 12 दिन तक बेटे के साथ मनोवैज्ञानिक शीत युद्ध चला। ड्यूटी से आकर उसे न छूना, उसे खाना खिलाना छोड़ देना, उसे गले न लगाना... और भी बहुत कुछ। उसे समझाया, वो समझ गया, लेकिन कहने लगा कि मम्मी बदल गई है, अब पहले जैसे प्यार नहीं करती है।
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एसीपी डॉ. अर्चना सिंह को एक बेटी और एक बेटा है। वो कहती हैं कि फिर भी हम पुलिस वालों के बच्चों की परवरिश ही इस तरह से होती है कि उन्हें फर्ज और परिवार के बीच की प्राथमिकताओं की समझ आ ही जाती है। घर में हूं, लेकिन मेरा कमरा सबसे अलग है। दूर से ही एक-दूसरे को देख ले रहे हैं, बस इसी बात की तसल्ली है। हां, इस दौरान बेटे ने गेट तक आकर बाय करना छोड़ दिया है।
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एसीपी श्वेता श्रीवास्तव का 5 साल का बेटा है। वो कहती हैं कि मैं 15 दिन से अपने बेटे से नहीं मिली हूं। हां, इंतजार है बेटे को गले से लगाने का, लेकिन इसकी भी चिंता है कि अपना शहर, अपना देश इस संकट से पार पा ले।
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एडिशनल एसएचओ नीलम राना को दो बच्चे हैं। पहले बच्चे घर पहुंचते ही गले से लग जाते थे, अब मेरे कपड़े, सैनिटाइजर सबकुछ अलग से तैयार करके रखते हैं। मैं नहा-धोकर आती हूं तब उनसे मिलती हूं, लेकिन दूर से ही। हमने घर में ही खुद को क्वारंटीन कर रखा है।
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एसपी कैंट डॉ. बीनू सिंह के तीन बच्चे हैं, जिन्हें उन्होंने दिल पर पत्थर रख कर घर निकाला दे दिया है। कहती हैं कि प्रतापगढ़ में नानी के पास भेज दिया है उन्हें। बच्चों के यहां रहने पर उनकी न तो देखभाल कर पाती, न ही उनकी चिंता से उबर पाती। हम सबकी कोशिश यही है कि शहर शांत रहे, खुशहाली लौट आए। दिनभर में बच्चों की 20-25 वीडियो कॉल आती है।
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