अपराध छिपाकर विकास दुबे ने खुद के नाम बनवाया था शस्त्र लाइसेंस, पिता,पत्नी और भाई के नाम पर भी हैं असलहे

कानपुर(Uttar Pradesh).  8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को पुलिस एनकाउंटर में मार चुकी है, इसके साथ ही इस जघन्य हत्याकांड में शामिल विकास दुबे के 5 साथी भी पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो चुके हैं. पुलिस ने अब विकास दुबे की कुंडली खंगालना शुरू किया है।  उसे आर्थिक मदद देने से लेकर उसे हथियार मुहैया कराने वाले लोगों पर भी पुलिस शिकंजा कस रही है। लेकिन इन सब के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। तकरीबन 60 मुकदमों के आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे के पास लाइसेंसी असलहा था, यही नहीं उसने अपनी पत्नी, पिता, भाई समेत परिवार में कुल 6 लोगों के नाम असलहों का लाइसेंस ले रखा था। मामला सामने आने के बाद प्रशासन के भी होश उड़ गए हैं। अब इस फर्जीवाड़े में विकास दुबे की मदद करने वाले लोगों अधिकारियों के खिलाफ भी शिकंजा कसा जाएगा। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 20, 2020 1:16 PM IST / Updated: Jul 21 2020, 12:15 PM IST

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अपराध छिपाकर विकास दुबे ने खुद के नाम बनवाया था शस्त्र लाइसेंस,  पिता,पत्नी और भाई के नाम पर भी हैं असलहे

पुलिस की जांच में विकास दुबे, उसकी पत्नी, पिता समेत परिवार के छह लोगों के नाम से असलहा लाइसेंस जारी था। सभी ने अपने अपराध छिपाकर 3 लखनऊ और 3 लाइसेंस कानपुर से बनवाए गए थे। पुलिस ने इन सभी असलहों को निरस्त करने की संस्तुति की है।

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एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि जांच में विकास दुबे, पत्नी ऋचा, पिता रामकुमार, भाई दीपू दुबे, अंजलि दुबे और नौकर दयाशंकर के नाम से शस्त्र लाइसेंस जारी हुए हैं। इनमें से ऋचा, दीपू और अंजलि का लखनऊ से शस्त्र लाइसेंस बना है। एसएसपी के मुताबिक विकास दुबे, राम कुमार और दयाशंकर के लाइसेंस कानपुर से बने थे। इन सभी शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट भेजी गई है।

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इसके साथ ही यह भी जांच की जा रही कि अपराधिक बैकग्राउंड होने के बाद भी परिवार में छह शस्त्र लाइसेंस कैसे बन गए थे। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अपराधी और उसके परिवार के पास छह शस्त्र लाइसेंस होने के मतलब नियमों को ताक पर रखकर सभी काम किए गए हैं।

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विकास दुबे को कलेक्ट्रेट से भी मदद मिल रही थी। 2004 में उसकी राइफल का लाइसेंस निरस्त कर रिपोर्ट थाने भेजी गई लेकिन असलहा उसके पास ही रहा। बड़ा सवाल यह है कि उसकी फाइल दबाने में किसने मदद की थी। एसआईटी इस बिन्दु पर भी जांच करेगी। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि 2004 के लाइसेंस निरस्तीकरण की रिपोर्ट थाने के रजिस्टर में दर्ज नहीं पाई गई। उस समय के डिस्पैच और रिसीविंग रजिस्टर के मिलान के बाद स्थिति साफ हो सकती है।
 

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दूसरी ओर जिलाधिकारी कोर्ट ने विकास दुबे के भाई समेत बिकरू के 10 असलहा लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। 20 जुलाई तक संतोषजनक जवाब न देने पर लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। बिकरू गांव में कुल 14 लोगों के पास असलहा लाइसेंस हैं। दो जुलाई की घटना के बाद सभी की छानबीन चल रही है। 
 

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पुलिस ने विकास दुबे के भाई, पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत 10 लोगों के लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट डीएम कोर्ट को भेजी दी है। जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि कोर्ट की प्रक्रिया चल रही है। जबकि विकास दुबे का भाई दीपक दुबे, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रीता दुबे, रामचंद्र,  नीरज कुमार, सत्येंद्र कुमार, रवींद्र, रमेश चंद्र, श्रीकांत शुक्ला, राकेश कुमार और छोटे बऊवा का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।  

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