Published : Mar 16, 2020, 12:49 PM ISTUpdated : Mar 16, 2020, 01:01 PM IST
कानपुर(Uttar Pradesh ). फर्रुखाबाद के करथिया गांव में हुए 23 बच्चों के किडनैपर सुभाष बाथम के एनकाउंटर के बाद अनाथ हुई उसके बेटी अब अपने बुआ के घर रहेगी। भाई के एनकाउंटर के डेढ़ माह बाद बहन ने बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को प्रार्थना पत्र देकर सुभाष की बेटी गौरी को गोद लेने की इच्छा जताई। सुभाष बाथम की बहन ने भतीजी को ठीक से पढ़ाने व पालन पोषण की बात लिखित में स्वीकर की है। रविवार को बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व मोहम्मदाबाद कोतवाल की मौजूदगी में उसे बुआ की सुपुर्दगी में दिया गया।
तकरीबन डेढ़ माह पहले यूपी के फर्रुखाबाद के करथिया गांव में सुभाष बाथम नाम के व्यक्ति ने बेटी का जन्मदिन बनाने के बहाने से पड़ोस के 23 बच्चों को बुलाकर अपने घर में बंधक बना लिया। बंधक बनाए गए बच्चों को छोड़ने के बदले में उसने पुलिस से अपनी कई मांगे मनवाने के लिए दबाव बनाया। तक़रीब 22 घंटे तक बच्चे उसकी गिरफ्त में रहे। उसके इस कृत्य में उसकी पत्नी रूबी ने भी उसका साथ दिया था।
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मौके पर पहुंचे आईजी कानपुर जोन मोहित अग्रवाल ने पुलिस को जवाबी कार्रवाई करने का आदेश दिया। जिसके बाद पुलिस की कार्रवाई में सुभाष बाथम मारा गया था। वहीं उसकी पत्नी को आक्रोषित भीड़ ने पीट कर मार डाला था। जिसके बाद सुभाष बाथम की डेढ़ साल की बेटी गौरी अनाथ हो गई थी।
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मां-बाप की मौत के बाद अनाथ हुई गौरी के पालन-पोषण का जिम्मा आईजी जोन कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने उठाया था। जिसके बाद आईजी के आदेश पर गौरी को मोहम्मदाबाद कोतवाली की सिपाही रजनी के सुपुर्दगी में दे दिया गया था। रजनी ही गौरी की देखभाल कर रही थी।
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आईजी ने गौरी के पालन के लिए सिपाही रजनी को तुरंत दस हजार रुपये दिए थे। वहीं 23 बच्चों को सुभाष बाथम की कैद से आजाद कराने के बदले शासन से मिली एक लाख ईनाम की धनराशि भी गौरी के नाम फिक्स डिपॉजिट कर दी गई थी। आईजी मोहित अग्रवाल की पत्नी प्रेरणा ने भी गौरी कपड़े व कई उपहार दिए थे।
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घटना के डेढ़ माह बाद सुभाष बाथम की बहन वेदवती ने भाई की बेटी गौरी को गोद लेने की इच्छा जताई। गौरी की बुआ वेदवती पत्नी अजय निवासी मोहल्ला अंगूरीबाग ने डीएम मानवेंद्र सिंह व बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संजीव गंगवार को प्रार्थना पत्र देकर दिया। इस पर रविवार दोपहर पुलिस लाइन में गोदनामा लिखवाने के बाद गौरी को वेदवती की सुपुर्दगी में दे दिया गया। डेढ़ माह से अपने बच्चों के साथ गौरी को पाल रही सिपाही रजनी गौरी को उसके बुआ को देते हुए भावुक हो गई।