हाईकोर्ट ने कहा-लिव इन रिलेशन में रहना अपराध नहीं, हस्तक्षेप का किसी को अधिकार नहीं

प्रयागराज (Uttar Pradesh) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशन को वैधानिक बताया है। फर्रुखाबाद की कामिनी देवी और अजय कुमार के मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है लिव इन रिलेशनशिप को देश में वैधानिक मान्यता प्राप्त है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को चाहे वह अभिभावक ही क्यों न हो, हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के तहत प्राप्त है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2020 10:09 AM IST / Updated: Dec 03 2020, 03:42 PM IST

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हाईकोर्ट ने कहा-लिव इन रिलेशन में रहना अपराध नहीं, हस्तक्षेप का किसी को अधिकार नहीं

कोर्ट ने कहा कि दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह भारत में भी लिव इन को सामाजिक मान्यता नहीं है। मगर, दो लोगों के बिना शादी किए साथ रहने से कोई अपराध नहीं बनता है। भले ही इसे अनैतिक माना जाए।
(प्रतीकात्मक फोटो)

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कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति से महिलाओं को संरक्षण देने के लिए घरेलू हिंसा कानून बनाया गया है। जिसका सहारा वह महिलाएं भी ले सकती हैं, जो बिना विवाह किए विवाह जैसी स्थिति में रह रही हैं। 
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कोर्ट ने इंदिरा शर्मा बनाम वीकेवी शर्मा केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विस्तृत निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं को हिंसा से संरक्षण देने के लिए कानून बनाए हैं। इस दौरान याचीगण के शांति पूर्वक साथ रहने में किसी के हस्तक्षेप पर रोक लगाते हुए एसएसपी फर्रुखाबाद को निर्देश दिया है कि याचीगण के मांगने पर उनको पुलिस संरक्षण उपलब्ध कराया जाए।
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बता दें कि याची कामिनी देवी का कहना था कि परिवार के लोग उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी उम्रदराज व्यक्ति से करवाना चाहते हैं। इसके लिए उसे परेशान किया जा रहा है। इस बात की जानकारी होने पर वह छह माह पूर्व अजय के साथ लिव इन में रहने लगी। 
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कामिनी देवी का कहना था कि अब परिवार के लोग परेशान कर रहे हैं। याची ने एसएसपी को प्रार्थनापत्र देकर संरक्षण देने की मांग की थी, मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए उसे कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
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